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Badlapur : किफायती घर अब दोगुनी कीमत पर मिलेगी

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Badlapur : किफायती घर अब दोगुनी कीमत पर मिलेगी

 Badlapur : प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के अंतर्गत गरीबों और निम्न आय वर्ग के नागरिकों के लिए बनाए जा रहे घर अब पहले से दोगुनी कीमत पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यह परियोजना वर्ष 2019 में बदलापुर नगर पालिका द्वारा मंजूर की गई थी, जिसमें बेलावली क्षेत्र में 325 वर्ग फीट के कुल 2298 घरों का निर्माण किया जाना था। इनमें से 462 घर झुग्गीवासियों को निःशुल्क दिए जाने थे, जबकि शेष 1836 घर सामान्य नागरिकों को सब्सिडी के साथ कम कीमत पर दिए जाने थे।

इस योजना के अनुसार, एक घर की कुल लागत 11.20 लाख रुपये निर्धारित की गई थी। केंद्र सरकार की ओर से प्रत्येक घर पर 2.50 लाख रुपये की सब्सिडी दी जानी थी, जिससे नागरिकों को 8 से 9 लाख रुपये में घर मिलने की उम्मीद थी। इससे निम्न आय वर्ग के लोगों को किफायती दर पर अपना घर मिलना था। ( Badlapur)

हालांकि, योजना के क्रियान्वयन में ठेकेदार द्वारा की गई देरी और प्रशासन की ढिलाई ने पूरी योजना पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। ठेकेदार ने विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए परियोजना को समय पर पूरा नहीं किया और सरकार से तीन बार समय सीमा बढ़वाने की मांग की। इसके कारण परियोजना की कुल लागत 255 करोड़ रुपये से बढ़कर 434 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।

अब प्रशासन यह बढ़ी हुई लागत नागरिकों से वसूलने की तैयारी कर रहा है, जिसके चलते प्रत्येक घर की कीमत लगभग 20 लाख रुपये तक पहुंच गई है। यह कीमत बेलावली और वलीवली जैसे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए अत्यधिक है और योजना के मूल उद्देश्य – “हर गरीब को सस्ते दर पर घर” – को विफल करती है।

पूर्व भाजपा पार्षद संभाजी शिंदे ने इस पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इस परियोजना में बड़े घोटाले का आरोप लगाया है। उन्होंने मांग की है कि इस योजना की निष्पक्ष जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। साथ ही, उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि वे इतनी ऊँची कीमत पर मकान न खरीदें और अपने हक के लिए आवाज़ उठाएँ। ( Badlapur)

यह मामला न केवल सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का बोझ आम आदमी को उठाना पड़ता है। यदि समय रहते जांच और कार्रवाई नहीं की गई, तो भविष्य में ऐसी योजनाएं गरीबों के लिए नहीं, बल्कि ठेकेदारों और भ्रष्ट अधिकारियों के लिए लाभ का साधन बनकर रह जाएंगी।

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