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परमबीर सिंह और रश्मि शुक्ला को 6 अगस्त तक मिली राहत

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मुम्बई पुलिस के पूर्व आयुक्त खुद परमबीर सिंह दूसरों पर आरोप लगाकर कार्रवाई से दूर रह रहे हैं। हालांकि संजय पांडेय ने परमबीर सिंह की जांच से इनकार किया है, लेकिन नए अधिकारियों के जरिए मामले की जांच शुरू कर दी गई है। इसलिए, वे चाहे कितना भी निर्णय लें, वे जांच से बच नहीं सकते हैं और कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, राज्य सरकार ने बुधवार को उच्च न्यायालय में दावा किया।

परमबीर सिंह ने करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज करने के लिए हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की हैं।पुलिस इंस्पेक्टर अनूप डांगे ने यह भी आरोप लगाया है कि परमबीर ने इसी तरह के एक मामले में निलंबन रद्द करने के लिए 2 करोड़ रुपये की मांग की थी। इसे देखते हुए, राज्य सरकार ने एसीबी के माध्यम से परमबीर की प्रारंभिक जांच करने का निर्णय लिया।

जांच से बचने के लिए परमबीर ने मुंबई हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।इस याचिका पर न्यायमूर्ति एस. एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन. जे.जमादार की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई।

उस समय राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वरिष्ठ वकील दरयास खंबाटा ने अदालत से कहा कि परमबीर को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के समक्ष अपनी शिकायत दर्ज करनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने मुंबई उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की। उनकी याचिका में कोई तथ्य नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाना चाहिए।

परमबीर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने तर्क दिया, “उस पत्र के बाद, राज्य सरकार ने केवल बदला लेने के लिए प्रारंभिक जांच करने का फैसला किया है।डीजीपी संजय पांडेय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नवरोज सिरवई ने भी परमबीर की याचिका का विरोध किया और उच्च न्यायालय से उनकी याचिका खारिज करने को कहा क्योंकि यह प्रशासनिक सेवाओं से संबंधित है।वहीं, राज्य सरकार की ओर से एड. जयेश याज्ञनिक ने पीठ के समक्ष दोनों मामलों की जांच की सीलबंद रिपोर्ट पेश की। अदालत ने इस पर गौर किया और मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

इस बीच, परमबीर सिंह ने भी उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर करॲट्रॉसिटी मामले को रद्द करने की मांग की है।राज्य सरकार ने आश्वासन दिया है कि परमबीर को छह अगस्त तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।

तत्कालीन राज्य खुफिया आयुक्त रश्मि शुक्ला ने बुधवार को अदालत में दावा किया कि फोन टैपिंग का आदेश तत्कालीन राज्य सरकार की ओर से दिया गया था। शुक्ला ने यह भी दावा किया कि उन्होंने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन किया है।

महेश जेठमलानी ने हाईकोर्ट में यह भी दावा किया कि शुक्ला ने भारतीय टेलीग्राफ नियमों के तहत राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव से अनुमति मांगी थी।इसे देखते हुए कोर्ट ने मामले की सुनवाई 5 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।और तब तक शुक्ला के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं करने के पहले के निर्देशों को बरकरार रखा गया है।

दूसरी ओर, केंद्र ने अदालत को सूचित किया कि सीबीआई की प्राथमिकी के खिलाफ अनिल देशमुख और राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका को उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने के बाद भी राज्य सरकार सहयोग नहीं कर रही है।सीबीआई ने 22 जुलाई को राज्य के खुफिया आयुक्त को पत्र लिखकर रश्मि शुक्ला द्वारा राज्य सरकार को सौंपी गई गोपनीय रिपोर्ट से संबंधित दस्तावेजों की प्रति मांगी थी।

 

Reported By -Rajesh Soni

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