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खाने के तेल की कीमतों में फिर लगी आग, आम आदमी का बुरा हाल

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रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध का असर अब खाने-पीने की चीजों पर पड़ रहा है। वहीं यह असर अब आम लोगों के किचन तक पहुंच गया है। भारत यूक्रेन से खाद्य तेल (Edible Oil) आयात करता है। लेकिन युद्ध के कारण आयात बंद हो गया है। वहीं तेल के बड़े व्यापारियों द्वारा जमाखोरी की जा रही है। इसी वजह से 20 से 25 रुपये किलो में मिलना पाम तेल अब मूंगफली तेल की कीमतों की बराबरी कर रहा है।
जानकारों का कहना है कि इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है।

तेल के भाव में बढ़ोतरी यूक्रेन-रूस युद्ध के दसवें दिन देखने को मिली है। चूंकि इस युद्ध के रुकने के कोई संकेत नहीं मिल रहे है। ऐसे में सरकार को निकट भविष्य में खाने के तेलों को अपने नियंत्रण में लेने की जरूरत है। कुछ इलाकों में व्यापारी जमाखोरी कर स्थिति का फायदा उठा रहे हैं।

आम तौर पर हम सिरका, सोयाबीन और पाम तेल को हल्के तेल के रूप में और मूंगफली एवं सन फ्लावर तेल को उच्च गुणवत्ता वाले तेल के रूप में देखते हैं। इसलिए उच्च गुणवत्ता वाले तेल की कीमतें हमेशा ज्यादा रही है।

पिछले 40 से 50 वर्षों में वर्तमान समय जैसी स्थिति कभी उत्पन्न नहीं हुई। पहले से मूंगफली के तेल की मांग अधिक थी।क्योंकि आम आदमी उच्च गुणवत्ता वाले तेल को प्राथमिकता देता है।

लेकिन आज की स्थिति में पाम तेल की कमी के कारण पाम तेल की कीमत अब मूंगफली के तेल के बराबर हो गई है। इसलिए इस पर नियंत्रण जरूरी है। बुलढाणा का खामगाँव तेल का एक बड़ा बाजार है। और खामगाँव में कई तेल उत्पादक कारखाने हैं।नतीजतन बाजार में पिछले दो दिनों से तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर चर्चा देखने को मिल रही है।

बात करें तेलों के बढ़ते दामों की तो, 7 फरवरी से 4 मार्च के बीच मे मूंगफली का तेल 165 से 175 रुपये प्रति लीटर बिक रहा था। वहीं पामतेल भी अब 145 से 165 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। इसके अलावा सोयाबीन तेल की कीमतें 155 से 170 रुपये के बीच पहुंच गई है।

खाने के तेल की बढ़ती कीमतों के कारण आम आदमी का बजट बिगड़ गया है। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध 24 फरवरी को शुरू हुआ था। नतीजतन, यूक्रेन और रूस से खाद्य तेल का आयात बंद हो गया। वहीं मूंगफली तेल का निर्यात भी बंद हो गया, जिससे मूंगफली के तेल की कीमत में थोड़ी गिरावट आई। और पाम तेल की कीमत में बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसलिए मूंगफली और पाम का तेल अब लगभग एक कीमत पर बिक रहा है। लेकिन कीमतों में बढ़ोतरी का असर आम आदमी के बजट पर पड़ा है। वहीं सरकार अब इस पर नियंत्रण कर आम आदमी को राहत दें। ऐसी मांग आम आदमी द्वारा की जा रही है।

Reported by :- Rajesh Soni

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