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शरद पवार – प्रशांत किशोर की मुलाकात का राज

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पिछले कुछ दिनों में नेताओ की अचानक मुलाकातों के दौर खासे चर्चाओ में हैं। वैसे इन मुलाकातों का राज कोई खोले या ना खोले ।लेकिन ये पब्लिक है सब जा

आज मुम्बई (Mumbai) में शरद पवार के घर जाकर प्रशांत किशोर ने पवार साहब से मुलाकात की। इस मुलाकात ने एक बार फिर देश की राजनीति में हलचल मचा दी है ।राजनीति के जानकारों का मानना है कि यह मिशन 2024 का आगाज है । जिसकी पटकथा प. बंगाल चुनावों में ममता बनर्जी की जीत के बाद लिखी जानी शुरू हो चुकी है। लिहाजा अब वक्त भी है और दस्तूर भी । भाजपा के शेर को घेरने की तैयारी विपक्ष ने अभी से शुरू कर दी है ।
शरद पवार साहब खुद कितने उत्साहित हैं। अगले लोकसभा और विधानसभा चुनाव को लेकर । सूबे की रियासत में अपनी बेटी सुप्रिया सुले को अपना उत्तराधिकारी बनाकर खुद दिल्ली की सत्ता में लौटना शरद पवार का पुराना सपना है । पवार साहब खुद पीएम बनना चाहते हैं और अपनी बेटी को महाराष्ट्र का सीएम बनाना चाहते है। जिसमें प्रशांत किशोर उनके लिए कितने मददगार हो सकते हैं ये तो वक्त तय करेगा । क्योंकि प्रशांत किशोर राजनीति से सन्यास लेने का एलान कर चुके हैं और पवार साहब खुद अपने रिटायरमेंट का एलान करने के पहले पीएम बनना चाहते हैं । वैसे प. ,बंगाल चुनावों के ताजा नतीजों ने विपक्ष को जीत का नया शगूफा दे दिया। भाजपा में जैसे मोदी है तो मुमकिन है उसी तर्ज पर विपक्ष प्रशांत किशोर है तो मुमकिन है वाले अंदाज में चलने को बेताब है। क्योंकि प्रशांत किशोर आज कामयाबी की गारंटी माने जाते हैं । देखा जाए तो मोदी ने अपनी पहली जंग प्रशांत किशोर के साथ ही लड़ी थी। मोदी के अलावा यूपी में अखिलेश यादव, बिहार में नीतीश सरकार पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सरकार, दिल्ली में केजरीवाल सरकार और हाल ही में प. बंगाल में ममता सरकार की वापसी प्रशांत किशोर की काबिलियात गिनाने के लिए काफी है।

शरद पवार आज भले ही राजनीति के चाणक्य माने जाते हो । लेकिन ऐसा नहीं है कि प. बंगाल गंवाने के बाद मोदी ने कोई सबक नहीं लिया हो होगा । मोदी ने भी राजनीति में शह और मात का खेल शुरू कर दिया है । दिल्ली में उध्दव ठाकरे से 100 मिनट बंद कमरे में मुलाकात यह बताने के लिए काफी है। भाजपा के साथ रिश्तों की बात को महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े उलटफेर के तौर पर देखा गया । जिसके चलते खुद शरद पवार को बाबासाहेब ठाकरे का वास्ता देकर उध्दव ठाकरे को उनका वादा याद दिलाना पड़ा। महाराष्ट्र सरकार में उध्दव ने 5 साल सरकार में रहने का वादा किया था।

वैसे राजनीति में बड़े फायदे के लिए वादाखिलाफी का पुराना इतिहास रहा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि ऊंट किस करवट बैठता है ।

Report by : Hitender Pawar

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