फिलहाल (At the moment)केंद्रीय जांच एजेंसियां सक्रिय हैं। कई जगहों पर छापेमारी का सत्र चल रहा है। आज शिवसेना के मुखपत्र सामना में जांच एजेंसियों की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए गए हैं। समाना में कहा गया है कि आयकर विभाग के छापे मतलब राजनीतिक फंडिंग है।
चुनाव आयोग की शिकायत के मुताबिक, बुधवार को आयकर विभाग की छापेमारी अस्वीकृत और अपंजीकृत राजनीतिक दलों की ‘फंडिंग’ को लेकर थी, लेकिन क्या इस तरह की छापेमारी जनता की नजर में विश्वसनीय है? ऐसा सवाल सामना में उठाया गया है।
आयकर विभाग ने बुधवार को देशभर में एक साथ छापेमारी की। बताया जाता है कि 110 से ज्यादा जगहों पर यह छापेमारी सत्र चलाया गया। चाहे वह आयकर विभाग हो या अन्य प्रणालियां, उनके प्रयासों में कुछ भी नया नहीं है।
आए दिन कहीं न कहीं छापेमारी सत्र चलाया जा रहा है। पिछले सात-आठ साल में भी इसमें एक तरह की निरंतरता और सूत्र देखने को मिल रहा है। दूसरे शब्दों में छापेमारी के लिए भी एक तरह का ‘अभियान’ चलाया जा रहा है। इस तरह जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा किया गया है।
Reported By :- Rajesh Soni