मुंबई (Mumbai) में लाखों की संख्या में रिक्शा चलते हैं। इस तरह शहर की बड़ी आबादी एक छोटा हिस्सा रिक्शा चलाकर अपना जीवन चलाता है। लेकिन इन गरीब रिक्षाचालकों की को कोई सुनने वाला नहीं है। इनका दर्द मेट्रो मुंबई के सीनियर रिपोर्टर विनोद कांबले ने जाना है।
दरअसल, गरीब ऑटो रिक्षा चालक लोन पर फायनांस कंपनी से रिक्षा खरीदते हैं। लेकिन कभी-कभी रिक्षा चालकों से लोन की मासिक किश्त या राशी देने में देरी हो जाती है। वहीं किश्त समय पर न चुकाने के कारण रिक्शा चालकों द्वारा जुर्माना भी भरा जाता है। लेकिन फिर भी फाइनेंस कंपनी के द्वारा इन रिक्शा चालकों के साथ जबरदस्ती की जाती है।
कई बार रिकव्हरी एजेंट रिक्शा चालकों से हफ्ता न भरने के कारण ऑटो रिक्षा छिनकर ले जाते हैं। और ऑटो रिक्षा को जंगल क्षेत्र (यार्ड) में रखते हैं। वहीं इन क्षेत्रों में ऑटो रिक्शा रखने के कारण रिक्शों के पुर्जे गायब होने की शिकायत रिक्शा चालकों की तरफ से की गई है। इसलिए यह रिक्शा चालक अपनी परेशानी को प्रशासन तक पहुंचाकर इंसाफ चाहते हैं।
Reported By :- Rajesh Soni
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