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धूल और प्रदूषण पर लगेगी लगाम: शिवाजी पार्क में हरियाली बढ़ाने की बीएमसी की पहल

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मुंबई की धड़कन कहे जाने वाले शिवाजी पार्क में अब सांस लेना और भी सुकून भरा होगा। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) के निर्देश के बाद, बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने पार्क में धूल और वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए व्यापक स्तर पर घास और पौधों के रोपण की योजना बनाई है। इस पहल का मकसद न केवल प्रदूषण कम करना है, बल्कि शहर के सबसे बड़े सार्वजनिक मैदान को और भी हरा-भरा और आकर्षक बनाना है।

प्रदूषण की बढ़ती समस्या
शिवाजी पार्क सिर्फ एक खेल का मैदान नहीं, बल्कि मुंबई की सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र भी है। यहां रोज़ाना सैकड़ों लोग सुबह की सैर, योग, क्रिकेट और फुटबॉल जैसे खेलों के लिए आते हैं। इसके अलावा, ऐतिहासिक और राजनीतिक रैलियों के आयोजन के कारण भी पार्क में भीड़ जुटती है। हालांकि, इतनी गतिविधियों के चलते मिट्टी का क्षरण होता है, और धूलकण हवा में फैलकर स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालते हैं। MPCB की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि पार्क के आसपास वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर तक पहुंच रहा है, जिससे सांस और एलर्जी जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।

बीएमसी का हरित समाधान
परिस्थिति की गंभीरता को समझते हुए, बीएमसी ने पार्क में बड़े पैमाने पर घास, छोटे पौधे और शुष्क-मिट्टी रोकने वाले पौधों के रोपण की योजना बनाई है। अधिकारियों के अनुसार, घास की परत मिट्टी को बांधे रखेगी और हवा में उड़ने वाली धूल को काफी हद तक रोकेगी। इसके साथ ही, बीएमसी नियमित अंतराल पर पानी का छिड़काव करेगी, जिससे मिट्टी की नमी बनी रहे और धूल के कण हवा में न फैलें।

स्थानीय लोगों की उम्मीदें
शिवाजी पार्क के आसपास रहने वाले नागरिकों और पर्यावरण प्रेमियों ने इस पहल का तहेदिल से स्वागत किया है। स्थानीय निवासी, सुनीता शर्मा कहती हैं, “यह पार्क हमारी ज़िंदगी का हिस्सा है। यहाँ हरियाली बढ़ने से न केवल प्रदूषण कम होगा, बल्कि पार्क की सुंदरता भी कई गुना बढ़ जाएगी। बच्चों, बुजुर्गों और सभी लोगों के लिए यह एक हेल्दी स्पेस बनेगा।”

पर्यावरणविद् अजय मेहता का मानना है कि यह पहल भविष्य में अन्य सार्वजनिक स्थानों के लिए एक मिसाल बनेगी। “शहर के हरे फेफड़ों को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है। बीएमसी का यह कदम सही दिशा में एक बड़ी छलांग है,” उन्होंने कहा।

भविष्य की योजनाएं
बीएमसी सिर्फ शिवाजी पार्क तक ही सीमित नहीं रहना चाहती। उन्होंने संकेत दिया है कि यदि यह योजना सफल रही, तो मुंबई के अन्य प्रमुख सार्वजनिक स्थलों जैसे मरीन ड्राइव, जुहू बीच, और आज़ाद मैदान में भी हरित परियोजनाएं चलाई जाएंगी। बीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमारा लक्ष्य सिर्फ प्रदूषण नियंत्रण नहीं, बल्कि मुंबई को एक हरित और अधिक रहने लायक शहर बनाना है। हम चाहते हैं कि नागरिकों को प्रकृति के करीब लाने के साथ-साथ एक स्वस्थ वातावरण भी प्रदान करें।”

मुंबई की नई हरित पहचान
इस पहल से न केवल शिवाजी पार्क की तस्वीर बदलेगी, बल्कि मुंबई की पहचान भी एक हरियाली से भरपूर, साफ-सुथरे शहर के रूप में उभरेगी। हरियाली बढ़ने से न केवल पर्यावरण को लाभ मिलेगा, बल्कि शहरवासियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। एक ओर जहाँ खेल प्रेमियों को बेहतर ग्राउंड मिलेगा, वहीं मॉर्निंग वॉक करने वालों को ताज़ी हवा में सांस लेने का सुखद अहसास होगा।

बीएमसी की इस हरित क्रांति से मुंबई का भविष्य निश्चित रूप से और उज्जवल दिखता है। यह कदम दिखाता है कि यदि प्रशासन और नागरिक मिलकर पर्यावरण के प्रति संजीदा हों, तो किसी भी शहर को प्रदूषण मुक्त और हराभरा बनाया जा सकता है। शिवाजी पार्क में हरियाली की यह नई चादर न केवल धूल को ढकने का काम करेगी, बल्कि मुंबई की आत्मा को और भी ताज़गी से भर देगी।

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