Environment Protection : महाराष्ट्र सरकार ने बढ़ते प्रदूषण और पर्यावरण संरक्षण के मद्देनज़र एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। राज्य में अब ‘नो पीयूसी सर्टिफिकेट, नो फ्यूल’ नीति लागू कर दी गई है। इसका मतलब है कि अब बिना वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUC) के कोई भी वाहन चालक पेट्रोल या डीजल नहीं भरवा सकेगा। यह निर्णय खास तौर पर वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लिया गया है, जो पिछले कुछ वर्षों में महानगरों और शहरी क्षेत्रों में गंभीर समस्या बन गया है।
इस नियम के तहत अब सभी पेट्रोल पंपों को निर्देश दिया गया है कि वे ग्राहकों से पेट्रोल या डीजल देने से पहले वैध पीयूसी सर्टिफिकेट की मांग करें। यदि वाहन चालक के पास यह प्रमाणपत्र नहीं होता है, तो उसे ईंधन नहीं मिलेगा। यह नीति दोपहिया, तीनपहिया, और चारपहिया सभी प्रकार के निजी और व्यावसायिक वाहनों पर लागू होगी। (Environment Protection)
परिवहन विभाग और पर्यावरण मंत्रालय ने मिलकर इस योजना को तैयार किया है और इसके सफल क्रियान्वयन के लिए पेट्रोल पंप मालिकों को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। विभाग का मानना है कि यदि हर वाहन नियमित रूप से प्रदूषण जांच कराता है, तो इससे वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हो सकता है।
इसके अलावा, सरकार पीयूसी प्रमाणपत्र बनाने की प्रक्रिया को भी सरल और डिजिटल कर रही है, ताकि लोगों को इसे बनवाने में कोई कठिनाई न हो। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप्स के माध्यम से पीयूसी सर्टिफिकेट बनवाने की सुविधा भी शुरू की गई है। जिन वाहनों का पीयूसी प्रमाणपत्र समाप्त हो चुका है, उन्हें तुरंत नजदीकी पीयूसी केंद्र जाकर प्रमाणपत्र नवीनीकृत करवाने की सलाह दी गई है। (Environment Protection)
हालांकि इस फैसले को लेकर आम जनता के बीच मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ लोग इसे पर्यावरण के लिए जरूरी कदम मान रहे हैं, तो कुछ को यह नया नियम असुविधाजनक लग रहा है। लेकिन प्रशासन का कहना है कि कुछ शुरुआती कठिनाइयों के बाद यह नीति लंबे समय में बेहद फायदेमंद साबित होगी। सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह नियम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है, और सभी नागरिकों को इसका पालन करना अनिवार्य होगा।
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