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kunal kamra : अभिव्यक्ति की आजादी या विवाद की राजनीति?

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kunal kamra : अभिव्यक्ति की आजादी या विवाद की राजनीति?

Kunal Kamra : मुंबई की राजनीति में इन दिनों कॉमेडियन कुणाल कामरा का नया गाना चर्चा का केंद्र बना हुआ है। स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा, जो अक्सर अपने व्यंग्य और राजनीतिक टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं, इस बार अपने गाने को लेकर विवादों में आ गए हैं। उनके इस गाने में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को ‘गद्दार’ और ‘दल बदलू’ कहा गया, जिससे राजनीतिक हलकों में बवाल मच गया है।

गाने से शुरू हुआ विवाद

कामरा ने अपने गाने में शिंदे पर तंज कसते हुए कहा, “ठाणे की रिक्शा, चेहरे पर दाढ़ी, आंखों पर चश्मा हाय!” यह गाना एकनाथ शिंदे की राजनीति की नकल करने जैसा लगा, जिससे शिवसेना के कार्यकर्ता भड़क उठे। इस गाने के बाद मुंबई पुलिस ने कुणाल कामरा पर एफआईआर दर्ज कर ली और शिवसेना के नेता राहुल कनाल समेत 11 शिवसैनिकों को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा, कामरा के स्टूडियो पर भी हमला हुआ, जिससे कलाकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया। ( kunal kamra)

महाराष्ट्र सरकार की प्रतिक्रिया

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस विवाद पर दोहरा रवैया अपनाया। एक ओर उन्होंने कहा कि, “कुणाल कामरा ने एकनाथ शिंदे को अपमानित करने की कोशिश की है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” वहीं दूसरी ओर, उन्होंने यह भी कहा कि कामरा को इस मामले में माफी मांगनी चाहिए। अब सवाल उठता है कि अगर कामरा ने कोई अपराध किया है तो माफी क्यों मांगनी पड़ेगी? और अगर यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, तो एफआईआर क्यों हुई?

राजनीतिक बयानबाजी तेज

शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, “गद्दार को गद्दार कहना कोई अपराध नहीं है।” वहीं, शिंदे गुट के प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े ने कहा कि “मुंबई पुलिस को तुरंत कामरा को गिरफ्तार कर लेना चाहिए।” शिंदे गुट के सांसद नरेश म्हास्के ने तो यहां तक कह दिया कि, “कुणाल कामरा, तुम्हें महाराष्ट्र ही नहीं, पूरे देश में घूमने नहीं देंगे!”

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल

यह विवाद केवल एक गाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अभिव्यक्ति की आजादी बनाम राजनीतिक दबाव का मुद्दा बन चुका है। कामरा पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी पर व्यंग्य कर चुके हैं, लेकिन इस बार उनकी टिप्पणी ज्यादा तीखी मानी जा रही है। ( kunal kamra)

क्या यह चुनावी मुद्दा बन सकता है?

महाराष्ट्र में निकाय चुनाव करीब हैं, और इस विवाद को राजनीतिक चश्मे से भी देखा जा रहा है। सवाल यह है कि क्या यह मुद्दा जानबूझकर उछाला गया है, या फिर कुणाल कामरा ने सच में कुछ ऐसा कह दिया जो सत्ताधारी दल को नागवार गुजरा?
यह मामला कहीं न कहीं यह सवाल खड़ा करता है कि क्या भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सच में सुरक्षित है? क्या कॉमेडी को सिर्फ मनोरंजन तक सीमित रखना चाहिए, या फिर इसमें सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को उठाने की भी आजादी होनी चाहिए? यह विवाद किस ओर जाएगा, यह तो वक्त ही बताएगा।

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