हर साल 5 दिसंबर (5th December)को ‘विश्व मृदा दिवस ‘ मनाया जाता हैं इस दिन का मकसद तेजी से बढ़ती जनसंख्याके चलते समस्याओं को भी उजागर करना हैं करीब 45 साल पहले भारत में ‘ मिट्टी बचाओं आंदोलन ‘ की शुरुआत हुई थी ‘ मिट्टी बचाओं आंदोलन ‘की शुरुआत 1977 में मध्य प्रदेश के होशगांबाद से हुई थी यहां तवा बाँध की वजह से कृषि योग्य ‘ मिट्टी दलदल होती जा रही हैं तब किसानों ने ‘ मिट्टी बचाओं आंदोलन ‘की शुरू की थी
मिट्टी जीवन के लिया महत्वपूर्ण हैं,क्यूंकि यह भोजन ,कपड़े आश्रय और दवा समेत जीवन के चार प्रमुख साधनों का स्रोतहैं इसलिए मिट्टी का
संरक्षण जरुरी हैं इसके आलावा मिट्टी विभिन्न अनुपातों में खनिजों।,कार्बनिक पदार्थों और वायु से बानी होती हैं यह जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं क्यूंकि यह एक पौधे के विकाश के लिए माष्यम ,कई कीड़ों और अन्य जीवों का घर हैं यह सतह के पानी के लिए और वायुमंडलीय गैसों के रखरखाव में एक निस्पंदन प्रणाली के रूप में भी काम करती हैं। इसलिए ,मिट्टी के नुक्सान के बारे में जागरूकता बढ़ने के लिए 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता हैं।
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