पूरे देश मे जहाँ कोरोना (Corona) की दूसरी लहर ने हाहाकार मचा दिया था। इस दौरान ना जाने कितने परिवारों की जिंदगियां बर्बाद हो गई। वहीं इस दौरान लाखों लोगों का काम-धंधा पूरे तरीके से चौपट हो गया। आज हम आपको लॉकडाउन से त्रस्त नालासोपारा के एक ऐसे परिवार से मिलाने जा रहे हैं। जिनके बारे में जानकर आपके आंखों से आंसू छलक जाएंगे।
यह कहानी नालासोपारा के एक परिवार की है। इस परिवार में 63 साल की दादी रहती है। जिनके पहले एक हस्ता खेलता परिवार हुआ करता था। इनके परिवार में पहले कुल 9 लोग थे। जिनमें दो बेटे, दो बहू, तीन नाती एवं खुद बुजुर्ग महिला और उसके पति शामिल थे। लेकिन एक हादसे ने इनकी जिंदगी बदल दी। इस हादसे में इनके दोनों बेटे और एक बहू गुजर गए। जिसके कारण इनका पूरा परिवार बर्बाद हो गया। अब इनके घर में कोई कमाने वाला नहीं बचा है।
हालांकि यह बुजुर्ग दादी और उसकी बहू मिलकर किसी भी तरह बच्चों की पढ़ाई और घर खर्च के लिए पैसों का इंतजाम करती है। पर लॉकडाउन में इनका यह भी काम छीन गया और दोनों बेरोजगार हो गए। जिसके बाद इनके सामने भूखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है। हालांकि इस मुश्किल वक़्त में इस परिवार की श्री आदि जैन युवक चैरिटेबल ट्रस्ट ने मुफ्त में राशन देकर मदद की। पर यह दादी बहुत ही खुद्दार है और इन्होंने संस्था के ट्रस्टी से कहा कि, ‘मुझे मुफ्त में राशन नहीं बल्कि काम चाहिए।
ये बात संस्था के ट्रस्टी को बहुत अच्छी लगी और सभी ने मिलकर सोचा कि जितने भी गरीब लोग है, उनको किसी तरह का काम दिया जाए। संस्था ने इन गरीबों को मिलाकर एक टिफिन सर्विस की शुरुआत की और उसका नाम दादी का किचन रखा। अब आपको जानकर आश्चर्य होगा कि, नवम्बर से सुरु हुए दादी के किचन से अब हर रोज 150 से 200 लोगों को मुफ्त में खाना साइकिल के द्वारा पहुंचाया जाता है। इस किचन में खाने बनाने के बदले दादी जैसे कई महिलाओं को संस्था काम के लिए पगार भी हर महीने देती है।
हमारी मेट्रो मुम्बई की रिपोर्टर गीता यादव ने भी दादी का किचन का जायजा लिया है। वहीं गीता ने दादी जैसी महिलाओं की मदद करने वाली संस्था के लोगों से भी खास बातचीत की है।
Reported by- Geeta Yadav
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