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आखिरकार बेआबरू हो चलता बने देशमुख

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एक साधारण सी बात को असाधारण बना देना आज राजनीतिज्ञों के लिए आम बात हो गयी है. उदाहरनार्थ, जब मुकेश अम्बानी की हवेली एंटोनियो के पास हथियारों से भरी एक गाडी मिली थी, तो यह गंभीर मामला तो था, लेकिन कानून के लिए. कानून को इसका जवाब देना था कि वह गाडी किसकी थी ? उसे वहाँ किसने रखा था और रखनेवाले ने किस उद्देश्य से रखा था आदि आदि . शुरुआत तो इस मामले की उसी तरह हुयी, लेकिन बहुत जल्द ही इसने राजनितिक रंग ले लिया. जैसे ही इस मामले में पुलिस ऑफिसर बझे की गिरफ्तारी हुयी, एक बड़ा विष्फोट हुआ, जबकि ऐसा होना तो नहीं चाहिए था. एक पुलिस ऑफिसर ने गुनाह किया था, तो कानून जैसा दुसरे मामलों में जांच कर दोषी को सजा दिलवाती है, इस मामले में भी ऐसा करती, लेकिन यहाँ तो मामला बिलकुल पसर ही गया . उक्त पुलिस ऑफिसर के बचाव में कोई और नहीं, बल्कि राज्य के मुखिया उद्धव ठाकरे खुद पैरोकार बन कर सामने आ गए . इतना ही नहीं आनन-फानन में मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का तबादला भी कर दिया गया. जब इतना उथल-पुथल मच ही रहा था, तो भला परमबीर सिंह क्यों पीछे रहते. ट्रांसफर के कुछ दिनों बाद ही उन्होंने एक ऐसा बम्ब फोड़ा कि महाराष्ट्र ही नहीं, पूरा देश ही दहल उठा. उन्होंने सीधे-सीधे राज्य के गृह मंत्री पर ही आरोप जड़ दिया कि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने बझे को किसी भी तरह से एक सौ करोड प्रति माह बार और रेस्टोरेंट वालों से उगाहने का हुक्म दिया था. इस वक्तव्य के बाद जो होना था, हुआ . एक भयानक भूचाल आ गया . इस भूचाल के बीच गृह मंत्री अनिल देशमुख आरोपों-प्रतिआरोपों के बीच भी यथावत अपने पद पर बने रहे. विरोधी इस्तीफे का दवाब बनाते रहे. गृहमंत्री की राजनितिक पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस प्रमुख शरद पवार भी बचाव में गलतबयानी करते दिखे . इतना ही नहीं, लोगों को उम्मीद थी कि पवार देशमुख से जरुर इस्तीफा लेंगे, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. तमाम दबावों के बावजूद न तो देशमुख की आत्मा जगी और न ही पवार की . मुख्यमंत्री ठाकरे का मौन भी यह जान कर भी न टूटा कि उनकी सरकार के गृहमंत्री पर अत्यंत गंभीर आरोप लगे हैं. बेहय्यापन का एक विशाल घेरा लगा कर इस मामले को ढके रखने का एक असफल प्रयास किया जाता रहा.
आखिरकार मामला अदालत के संज्ञान में आया. अदालत ने एक बार फिर अपनी उपयोगिता का महत्व बताते हुए गृहमंत्री को जम कर लताड़ा और इस मामले को गंभीरतम मानते हुए जांच के लिए सीबीआई के हवाले कर दिया . अब सीबीआई इस मामले की जांच करेगी , साथ ही इसमें विशेष बात यह हो गयी कि दरअसल मामला अब सीबीआई के बहाने केंद्र सरकार के पाले में आ गया है, चूँकि सीबीआई भी केंद्र सरकार की कठपुतली ही नज़र आती हैं , सो नहीं लगता कि अब कभी साफगोई से इस मामले की जांच हो भी पायेगी .

Report By: Lallan Kumar Kanj

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