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अब महाराष्ट्र में कोरोना के साथ -साथ तेजी से बढ़ रहे हैं ‘ब्लैक फंगस’ के मामले, BMC और राज्य सरकार परेशान

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महाराष्ट्र (Maharashtra) कोरोना (Corona) की दूसरी लहर से अब तक पूरी तरह से उभर तक नहीं पाया है। वहीं अब महाराष्ट्र (Maharashtra) पर कोरोना (Corona) के साथ -साथ म्यूकरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस या काली फफूंद जैसी जानलेवा बीमारी का खतरा मंडराने लगा है। महाराष्ट्र (Maharashtra) के दूसरे सबसे बड़े शहर पुणे में ब्लैक फंगस (Black Fungus) के औसतन रोजाना 2 से 3 केस मिल रहे हैं।

वहीं मुम्बई (Mumbai) में भी ब्लैक फंगस (Black Funguses) धीरे-धीरे पैर पसारने लगा है। जिनका डॉक्टर्स अस्पतालों में इलाज कर रहे हैं। कोरोना (Corona) की पहली लहर के दौरान ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मामले बहुत कम थे। लेकिन दूसरी लहर में ब्लैक फंगस (Black Fungus) तेजी से फैल रहा है। देश में महाराष्ट्र और गुजरात राज्य ब्लैक फंगस (Black Fungus) से सबसे ज्यादा ग्रस्त है।

महाराष्ट्र और मुम्बई में ब्लैक फंगस के मामले बढ़ने से राज्य सरकार और बृहन्मुंबई महानगर पालिका यानी बीएमसी टेंशन में है। पूरे महाराष्ट्र में अब तक ब्लैक फंगस के 2 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। जबकि 8 लोगों की मौत हो चुकी है। मुम्बई में ब्लैक फंगस से निपटने के लिए बीएमसी द्वारा टास्क फोर्स की भी स्थापना कर दी गई है।

बीएमसी ने टास्क फोर्स में मुम्बई के बड़े सरकारी अस्पतालों के डीन, आंख, नाक, और गला विभाग के एक्सपर्ट डॉक्टर्स को शामिल किया है। इन सरकारी अस्पतालों में नायर, केईम, कपूर और सायन अस्पताल शामिल हैं। यह टास्क फोर्स आने वाले दिनों में ब्लैक फंगस बीमारी से लड़ने की तरकीब को लेकर एक नियमावली तैयार करेगी।

बीएमसी के प्रमुख अधिकारियों के अनुसार, इस नियमावली के तैयार होने के बाद जरूरी गाइडलाइंस सभी सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल्स के लिए जारी किए जाएंगे। इसके साथ-साथ बीएमसी इस बीमारी के इलाज में उपयोगी लायपोझोमोल अंफोटेरीसीन दवा का स्टॉक भी बड़ी मात्रा में खरेदगी।

मिली जानकारी के मुताबिक, मुम्बई के सायन अस्पताल में अब तक ब्लैक फंगस के 32 मामले सामने आ चुके हैं। बता दें कि, पहले ब्लैक फंगस के इतने मामले साल में आते थे, अब एक महीने के भीतर आ रहे हैं। इनमें से 9 मरीज़ों की एक आँख और दो मरीजों की दोनों आंखें निकालनी पड़ी। आपको मालूम हो कि अगर ब्लैक फंगस नाक में घुस जाए तो, उस इंसान की आठ से 10 दिन में जान भी जा सकती है। इसी खतरे को भांपते हुए बीएमसी ने आनन-फानन में टास्क फोर्स की स्थापना की है।

ब्लैक फंगस बीमारी के शिकार व्यक्ति को 6 हफ़्तों तक लगातार अंफोटेरीसिन बी इंजेक्शन लगवाना पड़ता है। एक इंजेक्शन की कीमत मार्केट में करीब 7 हजार रुपये हैं। यानी एक मरीज को ठीक होने के लिए करीब 3 लाख रुपये खर्च करने होते हैं।

Report by : Rajesh Soni

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