Chat GPT : तकनीक ने शिक्षा को आसान बना दिया है, लेकिन चैट GPT और अन्य AI टूल्स ने युवाओं की सोचने-समझने की क्षमता को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। अब छात्र रिसर्च और विश्लेषण करने की बजाय सीधे उत्तर कॉपी कर रहे हैं, जिससे उनकी मौलिकता खतरे में पड़ रही है। यह प्रवृत्ति न केवल उनकी बौद्धिक क्षमता को कमजोर कर रही है, बल्कि भविष्य में उनके रोजगार और निर्णय लेने की क्षमता पर भी असर डाल सकती है।
पहले छात्र किसी भी विषय पर गहराई से सोचकर उत्तर तैयार करते थे। उन्हें किताबें पढ़नी पड़ती थीं, तर्क करना पड़ता था और अपने विचारों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करना पड़ता था। अब यह प्रक्रिया सिमटकर AI चैटबॉट से सवाल पूछने और तुरंत उत्तर प्राप्त करने तक रह गई है। सोचने, विश्लेषण करने और तर्क करने की यह कमी युवाओं की आलोचनात्मक और रचनात्मक सोच को प्रभावित कर रही है। (Chat GPT)
आजकल रिसर्च और मेहनत करने की प्रवृत्ति घट रही है और सीधे “कट, कॉपी, पेस्ट” की आदत बढ़ रही है। पढ़ाई का असली उद्देश्य ज्ञान अर्जित करना और उसे व्यावहारिक रूप से उपयोग करना है, लेकिन AI पर बढ़ती निर्भरता इसे कमजोर बना रही है। अगर युवा खुद से नहीं सोचेंगे और सिर्फ AI से प्राप्त उत्तरों पर निर्भर रहेंगे, तो उनकी समस्या-समाधान क्षमता कमजोर होती जाएगी।
भविष्य में कंपनियां केवल उन्हीं लोगों को प्राथमिकता देंगी, जो रचनात्मक और विश्लेषणात्मक सोच रखते हैं। जो सिर्फ तैयार उत्तरों को कॉपी करने के आदी होंगे, वे प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाएंगे। इसीलिए युवाओं को AI को एक सहायक उपकरण के रूप में देखना चाहिए, न कि सोचने के विकल्प के रूप में। स्कूलों और कॉलेजों में रिसर्च, लेखन और विचारशीलता को बढ़ावा दिया जाए। डिजिटल साक्षरता और नैतिकता पर जोर दिया जाए, ताकि युवा यह समझ सकें कि AI का सही उपयोग क्या है। अगर AI के उपयोग को सही दिशा नहीं दी गई, तो हम एक ऐसी पीढ़ी तैयार करेंगे जो निष्क्रिय और विचारहीन होगी। अब समय आ गया है कि हम तकनीक को अपने ऊपर हावी होने के बजाय उसे एक साधन के रूप में उपयोग करें और अपने दिमाग को खुद से सोचने की ताकत दें। (Chat GPT)
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