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आज भी महाराष्ट्र में विद्यार्थी ले रहे हैं गुरुकुल में शिक्षा

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महाराष्ट्र (Maharashtra) के धुले (Dhoole) जिले में आज भी शिक्षा के क्षेत्र में अप्रचलित हो चुकी गुरुकुल शिक्षा प्रणाली 14 वर्षों से चल रही है। संत ज्ञानेश्वर माउली पाठशाला एवं संस्कार केंद्र के माध्यम से विद्यार्थियों को गुरुकुल पद्धति सिद्धांत पर शिक्षा दी जा रही है। गुरुकुल में विद्यार्थियों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता और शिक्षकों को कोई वेतन नहीं दिया जाता है। आइए देखते हैं आज के गुरुपूर्णी के मौके पर इस संस्था पर आधारित यह खास रिपोर्ट।

एक ओर हम शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव और छात्रों एवं अभिभावकों की लूट को हमेशा देखते रहते हैं।हालांकि, धुले जिले में संत ज्ञानेश्वर माउली पाठशाला और संस्कार केंद्र के माध्यम से छात्रों को आध्यात्मिक और शैक्षणिक शिक्षा देने का कार्य पिछले चौदह वर्षों से लगातार चल रहा है।

हरिभक्तिपरायण गीता मूर्ति सुदर्शन महाराज गायकवाड़ के मार्गदर्शन में संस्था पिछले 14 वर्षों से गोंदूर एयरपोर्ट रोड पर वाडीभोकर गांव और गोंदूर गांव के बीच संचालित हो रही है।इसी सिद्धांत पर संस्थान लगातार छात्रों को गुरुकुल तरीके से शिक्षित करने का काम कर रहा है।

इस संस्थान में महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के 55 से अधिक छात्र शिक्षण ले रहे हैं। यहां छात्रों को वारकरी संप्रदाय की शैक्षिक शिक्षा दी जा रही है। प्रात:काल योग से प्राणायाम के बाद विद्यार्थी विद्यालय जाते हैं दिन भर विद्यार्थी अपने हाथों से अपना कार्य करते हैं तथा गुरुकुल विधि से सीखने से ज्ञान की वृद्धि होती है।

Report by : Rajesh Soni

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