Govinda on wheelchair : गोविंदा एक जीवंत और सामाजिक व्यक्ति हैं, जिनकी जीवनशैली हमेशा सक्रिय रही है। दोस्तों के साथ खेलना, परिवार के साथ घूमना, और विभिन्न गतिविधियों में हिस्सा लेना उनकी आदत थी। लेकिन हाल के कुछ महीनों में, उन्हें चलने में दिक्कत होने लगी। यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ी, जिससे उनकी सामान्य दिनचर्या प्रभावित हुई। डॉक्टर के सलाह के बाद गोविंदा को पता चला कि उन्हें एक चिकित्सीय स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जिसने उनकी गतिशीलता को सीमित कर दिया है। इस स्थिति ने उनके आत्मविश्वास पर भी असर डाला। वह पहले जैसे स्वतंत्र रूप से चलने में असमर्थ हो गए थे, जो उनके लिए बहुत कठिनाई का कारण बन रहा था। (Govinda on wheelchair )
उनकी बहन ने इस समस्या को समझते हुए घर पर एक व्हीलचेयर लाने का फैसला किया, ताकि गोविंदा को कुछ राहत मिल सके। व्हीलचेयर आने के बाद, गोविंदा ने उसे लेकर मिश्रित भावनाएँ महसूस कीं। एक ओर, यह उनकी स्वतंत्रता का एक नया साधन था, जिससे वह घर के अंदर घूम सकते थे। दूसरी ओर, यह उन्हें अपनी पूर्व स्थिति की याद दिलाता था, जब वह बिना किसी सहारे के चल सकते थे। धीरे-धीरे, उन्होंने व्हीलचेयर का उपयोग करना सीखा और इसके साथ समायोजित होने की कोशिश की। अब, गोविंदा अपने घर के विभिन्न हिस्सों में आसानी से पहुँच सकते हैं। व्हीलचेयर की मदद से वह अपने पसंदीदा टीवी शो देख सकते हैं, किचन में अपनी माँ की मदद कर सकते हैं, और कभी-कभी बगीचे में बैठकर प्रकृति का आनंद ले सकते हैं। उनका परिवार भी उनकी इस स्थिति में सहयोग कर रहा है। उन्होंने व्हीलचेयर को घर में उचित स्थान दिया है, जिससे गोविंदा बिना किसी बाधा के उपयोग कर सकें। हालांकि, गोविंदा की स्थिति ने उन्हें मानसिक रूप से प्रभावित किया। वह कभी-कभी खुद को अकेला महसूस करते हैं और यह सोचते हैं कि क्या वह फिर से पहले जैसे सक्रिय हो पाएंगे। ( Govinda on wheelchair )
इस स्थिति से निपटने के लिए, उन्होंने सकारात्मक सोच को अपनाने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने दोस्तों और परिवार से नियमित रूप से मिलने-जुलने का कार्यक्रम बनाया। इसके साथ ही, गोविंदा ने अपनी स्थिति के बारे में खुलकर बात करने का निर्णय लिया, ताकि वह अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकें। गोविंदा ने यह भी सोचा कि क्यों न इस चुनौती को एक नए अवसर में बदला जाए। उन्होंने अपने शौक, जैसे कि लेखन और पेंटिंग, में अधिक समय बिताना शुरू कर दिया। उन्होंने स्थानीय कला समूहों से जुड़कर अपने विचारों को साझा करना शुरू किया। इससे न केवल उन्हें खुशी मिली, बल्कि यह भी महसूस हुआ कि उनकी रचनात्मकता का एक नया द्वार खुल गया है। गोविंदा की कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में कठिनाइयाँ आ सकती हैं, लेकिन उनके साथ जीने का तरीका और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना महत्वपूर्ण है। व्हीलचेयर ने भले ही उनकी गतिशीलता को सीमित किया हो, लेकिन यह भी साबित करता है कि मन की ताकत और सहयोग से हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।
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