मुंबई : मुंबई के मरीन लाइन्स में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सोच के भारत विकास परिषद संघटन के एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मार्गदर्शन पर भाषण में कहा कि जैसे किसी विशाल वटवृक्ष के बीच मे उसका बीज मिट्टी में मिल जाता है, वैसे ही भारत विकास परिषद के संस्थापक डॉक्टर सूरज प्रकाश थे।
तो पता चला कि भारत विकास परिषद के लिये अपना जीवन समर्पित किये डॉक्टर सुरज प्रकाश इनके जन्मशताब्दी कार्यक्रम में मोहन भागवत ने दस्तक दि थी । भागवत जी अपने भाषण में कहा कि कोई भी सेवा करते हुए अहंकार नहीं रहना चाहिए, क्योँकि जो संपत्ति अर्जित होती है वो चल है और हम उसके मालिक नही है, हम उसके ट्रस्टी है। हमे दोनों हाथों से कमाए हुये हज़ारो हाथी से उसे परोपकार में लगाना चाहिए।
भारत के विकास की अपनी कल्पना है, अपनी प्रकृति है, हमारे पास विकास के चार साधन है- अर्थ, काम, मोक्ष और धर्म है, और भारत धर्मपरायण देश है जो भारत को बाकी के देशों से अलग करता है। भारत के पास वसुदैव कुटुम्बकम का मंत्र है और सबके विकास में एक का विकास है। भारत का जो प्राचीन चरित्र है, भारत विश्व के लिए शांति प्रदाता विश्व गुरु है और भारत को बाकी देश इसी रूप में देखते है, इसलिये भारत की आवश्यकता जब तक सृष्टि है तब तक भारत की जरूरत है।
इसलिये भारत विकास परिषद के सभी कार्यकर्ताओं को भारत के चरित्र को जानना है और सेवा करते हुये जीना है। इस मौके पर आदित्य बिर्ला समूह के संचालक कुमार मंगलम बिर्ला ने कहा की भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, भारत में नौकरियों के सृजन हो रहा है, भारत की डेमोक्रेसी बहुत ताकतवर है और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर एवम् वर्ष 2047 में जब भारत 100वे वर्ष में प्रवेश करेगा तब भारत विश्व की उच्चतम अर्थव्यवस्था बन जायेगा।
भारत की अधिकतर जनसंख्या युवा है और हमारे युवा विश्व स्तर पर कार्य करने के लिए सक्षम है। आधार और डिजिटल पेमेंट जैसे टेक्नोलॉजी इनोवेशन से भारत के लोगों को मुख्य धारा में आने का अवसर मिला है। कार्यक्रम में भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय संरक्षक जैनाचार्य श्री नयपदंसागर जी महाराज द्वारा परिषद के सभी कार्यकर्ताओं को राष्ट्रसेवा के लिये समर्पित रहने के लिए प्रेरित किया गया।
तो राष्ट्रीय महामंत्री श्याम शर्मा जी द्वारा परिषद के विभिन्न आयामों की जानकारी साझा की गई ।राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुरेश जैन जी द्वारा सभागार में उपस्तिथ प्रबुद्धजनों का परिचय करवाया गया। कार्यक्रम अध्यक्ष राष्ट्रीय अध्यक्ष गजेंद्र सिंह संधू जी द्वारा सभी का धन्यवाद किया ।इस कार्यक्रम में देशभर में सेवा कार्यो में समर्पित 5 सामाजिक विभूतियों को प्रेरणास्वरूप सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम में स्मारिका प्रबुद्ध अवलोकन का विमोचन किया गया।
भारत विकास परिषद के इस कार्यक्रम का उद्देश देशभर से उद्योगपतियों और विशिष्ट रूप से देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से प्रबुद्ध उद्योगपतियों का राष्ट्र निर्माण में सहभागिता करने के संकल्प का आह्वान था और कैसे परिषद अपनी देशभर में फैली 1,500 शाखाओ के लाखों सदस्यों के माध्यम से जन मानस के लिये संस्कार और सेवा में अग्रणी कार्य जैसे हॉस्पिटल एवम स्वास्थ्य केंद्र, महिलाओं के लिए कौशल विकास केंद्र, देशव्यापी एनीमिया एवं कुपोषण मुक्त भारत अभियान, बच्चो के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताये जैसे भारत को जनो, राष्ट्रीय समूह गान, ग्राम बस्ती विकास योजना जैसे बहुआयामी कार्यो का योजनाबद्ध तरीके से हो रहे क्रियान्वन से अवगत करवाना था।
भारत विकास परिषद की स्थापना 1963 में स्वामी विवेकानंद जी के आदर्शों पर हुई थी और परिषद अपने 60वे वर्ष में प्रवेश करते हुए देशभर में बुद्धिजीवियों व उद्योगपतियों के साथ राष्ट्रभक्ति एवं विकास को समायोजित करते हुए कार्यक्रमो के माध्यम से संपर्क करते हुए अपने उद्देश्यों को गतिमान करता रहेगा।
कार्यक्रम का आयोजन भारत विकास परिषद के पश्चिमी क्षेत्र के अंतर्गत कोंकण प्रान्त ने किया था।
कार्यक्रम में क्षेत्रीय अध्यक्ष सुधीर पाठक, क्षेत्रीय सचिव एल आर जाजू, क्षेत्रीय अतिरिक्त सचिव रवि प्रकाश, क्षेत्रीय महिला प्रमुख दीप्ति चौधरी, कोंकण प्रांत अध्यक्ष महेश शर्मा, सचिव यतीश गुजराथी, कोषाध्यक्ष भीम जी भाई रुपानी, उपाध्यक्ष सीमांत प्रधान और मुंबई प्रांत के सचिव संजय पोद्दार, जे पी बियाला, कोंकण एवम् मुंबई प्रांत, शाखा के पदाधिकारी मौजूद रहे ।
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