होली हिन्दुओं का एक मुख्य त्यौहार है , जो बस मुहाने पर है अर्थात २८-२९ मार्च को देश भर में होली (Holi) मनाई जाएगी . लेकिन यह पूर्व की होली (Holi) की तरह इस बार देश भर में समान रूप से नहीं मनाई जा सकेगी , क्योंकि रंग में भंग डालने के लिए कोरोना अर्थात कोविद – १९ मौजूद है देश में . इस कोरोना महामारी का असर तो इस होली (Holi) पर होना ही है, पर सबसे ज्यादा असर कोरोना से उत्पन्न आर्थिक संकट का रहेगा- साथ ही राजनितिक दखलंदाजी की साया भी इस बार की होली (Holi) पर रहने की संभावना है.

सब मिला कर कहा जा सकता है कि भाईचारे और भेद-भाव की सीमा को मिटानेवाली होली (Holi) इस बार कई जगहों पर अकेली भी हो सकती है . इसका असर कुछ यूँ दिख रहा है कि भाजपानीत सरकारें जहां- जहां हैं, वहाँ कई पाबंदियों के एलान के बावजूद धूम-धाम से होली (Holi) की तैयारियां हो रही हैं, तो गैर भाजपाई राज्यों में कोरोना का हवाला देकर पुख्ता पाबंदियां लगाई जा रहीं हैं. इसी तरह ५ राज्यों में विधान-सभा के चुनाव की सरगर्मियां चरम पर है , जो होली के रंग को अपने रंग से ढक कर फीका करने के लिए काफी है .

खबरों पर भरोसा करें तो उत्तर प्रदेश , जहां भाजपानीत योगी आदित्यनाथ की सरकार है और यह राज्य होली का मुख्य केंद्र भी है, क्योंकि यह रंग रशिया भगवन श्री कृष्ण की नगरी है और यहाँ की ” लठमार होली ” या ” जुत्तामार होली ” बेहद ही प्रसिद्ध है . इस प्रसिद्धि के अनुरूप ही यहाँ होली की तैयारियां पूरी की जा रही हैं. इस हेतु विधिवत मस्जिदों को ढाका जा चूका है अर्थात कोरोना के ऊपर यह राज्य होली को महत्व देने जा रहा है. जब होली को कोरोना से अधिक महत्व दिया जा रहा है तो फिर यहाँ रंग और भंग दोनों ही जमेगा ही , चाहे कोरोना कितना आतंक मचा ले.

दिल्ली में गैर भाजपा अर्थात आम आदमी पार्टी की सरकार है, जिसके मुखिया अरविन्द केजरीवाल हैं . कजरी सत्ता को अपने चश्मे से देखनेवाले व्यक्ति हैं , अतः वे तमाम सावधानियां बरतने के मूड में हैं . वे ऐलान कर चुके हैं कि चाहे होली हो, सब्बे बरात या नवरात्री कोरोना के कारन कोई भी समझौता नहीं किया जा सकेगा . अमूमन पंजाब , राजस्थान, महाराष्ट्र आदि गैर भाजपाई सरकारों वाले राज्य में पाबंदियों के बिच ही होली मनेगी, जिसे फीकी होली ही कहा जायेगा.

इसके विपरीत उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा आदि राज्यों में पिछले साल के अपेक्षा इस साल होली अपने शबाब पर मनेगी. समझनेवाले समझ रहे होंगे कि राजनितिक कारणों से एक ही देश में दो तरह की होली देश भर में देखने को मिलेगी. कहीं शबाब पर होली होगी तो कहीं फीकी फीकी . जो भी हो लेकिन वक्त और हालात को देखते हुए सिर्फ भावनाओं में बहना उचित तो कटाई नहीं होगा. होली सादगीपूर्ण तरीके से भी मन सकती है. हमें इस माहौल में इस तरीके को ही अपनाना चाहिए . जिनके घर सब कुछ है , उन्हें इस बार अपनी खुशियों को उन लोगों से जरुर बाटना चाहिए जिनके पास इस महामारी के दौर में कुछ भी नहीं है. उन्हें खुशियाँ देकर आपको जो ख़ुशी मिलेगी, वह ख़ुशी किसी भी होली की ख़ुशी से अधिक ही होगी.

Report By : Lallan Kumar Kanj

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