Divorce Cases: जबलपुर में जस्टिस शील नागू और जस्टिस विनय सराफ की बेंच ने सुदीप्तो साहा बनाम मौमिता साहा मामले में अहम फैसला सुनाया. इस मामले में तलाक का कारण शारीरिक संबंध बना है।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि अगर कोई पत्नी शादी के बाद अपने पति के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाती है तो यह मानसिक क्रूरता है। इस आधार पर पति अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है। उसके पास तलाक का वाजिब कारण है. अगर पत्नी लगातार यौन संबंध बनाने से इनकार करती है तो यह पति को मानसिक और भावनात्मक परेशानी देने जैसा है। हिंदू विवाह अधिनियम के तहत यह पति के लिए तलाक लेने का वैध आधार हो सकता है।
न्यायमूर्ति शील नागू और न्यायमूर्ति विनय सराफ की पीठ ने सुदीप्तो साहा बनाम मौमिता साहा मामले की सुनवाई करते हुए जबलपुर में यह टिप्पणी की। भोपाल की फैमिली कोर्ट का फैसला पलटा गया. सुदीप्तो साहा ने कोर्ट को बताया था कि उनकी पत्नी शारीरिक संबंध बनाने से इनकार कर मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही है. उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी पत्नी मौमिता से तलाक मांगा.
दोनों ने 12 जुलाई 2006 को शादी कर ली। याचिका में कहा गया था कि शादी के दिन से लेकर 28 जुलाई 2006 तक पत्नी ने संबंध नहीं बनाए. इसके बाद पति देश छोड़कर चला गया. पति ने याचिका में कहा था कि मौमिता ने मुझे बताया था कि परिवार ने जबरदस्ती शादी कराई थी. यह शादी उसकी पसंद की नहीं थी, इसलिए मौमिता ने शारीरिक संबंध बनाने से इनकार कर दिया मौमिता को किसी दूसरे शख्स से प्यार था. मौमिता ने भी अपने पति से मुझे अपने बॉयफ्रेंड के पास भेजने को कहा. सुदीप्तो साहा ने याचिका में कहा था कि मौमिता ने सितंबर 2006 में भोपाल छोड़ दिया था, जिसके बाद वह कभी वापस नहीं लौटीं.(Divorce Cases)
इस मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक मामलों में मानसिक क्रूरता तय करने का कोई सीधा फॉर्मूला या मानदंड नहीं है. उचित निर्णय के लिए तथ्य आधारित मूल्यांकन किया जाना चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि पत्नी ने पति के दावों का खंडन नहीं किया. इसलिए पति की दलील को खारिज नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि पति को मानसिक क्रूरता के आधार पर अपनी पत्नी को तलाक देने का अधिकार है.
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