Devendra Fadnavis : महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के नजदीक आते ही राजनीतिक दल वोटों के ध्रुवीकरण की रणनीति पर जोर दे रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में जैसे-जैसे वोटों का ध्रुवीकरण हुआ था, अब विधानसभा चुनाव में भी इस मुद्दे पर राजनीतिक दल अपनी ओर से प्रचार कर रहे हैं। इस बीच, बीजेपी नेता और राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने हाल ही में एक ऑडियो क्लिप जारी कर चुनावी माहौल में आक्रामक रुख अपनाया है, जिसे लेकर राज्य में नई राजनीतिक हलचल मच गई है।
फड़णवीस ने एक ऑडियो क्लिप के माध्यम से “वोट जिहाद” पर गंभीर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि यदि यह वोट जिहाद है तो इसे धर्मयुद्ध के रूप में देखा जाएगा। इस ऑडियो क्लिप में उन्होंने कहा कि जो लोग वोटों के आधार पर धर्म का विभाजन करना चाहते हैं, उनके खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे। उनका यह बयान खासतौर पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के प्रवक्ता सज्जाद नोमानी द्वारा राज्य और केंद्र सरकार पर किए गए हमलों के बाद आया है। (Devendra Fadnavis)
नोमानी ने हाल ही में एक बयान में सरकार की मुस्लिम विरोधी नीतियों को लेकर आलोचना की थी, जिसके जवाब में फड़णवीस ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। फड़णवीस का यह बयान और “वोट जिहाद” शब्द बीजेपी के राजनीतिक अभियान का हिस्सा है, जिसमें पार्टी मुस्लिम मतदाताओं के ध्रुवीकरण को लेकर गंभीरता से काम कर रही है। बीजेपी नेताओं का मानना है कि मुस्लिम मतदाता अपनी एकजुटता के साथ विशेष रूप से राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ वोट कर सकते हैं, और यही “वोट जिहाद” है।
फड़णवीस ने इसे धर्मयुद्ध के संदर्भ में पेश किया है, जिससे एक बार फिर राज्य में धर्म आधारित राजनीति को तूल मिल रहा है। बीजेपी के इस बयान के बाद विपक्षी दलों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस और शिवसेना ने इसे राजनीतिक भय पैदा करने की एक रणनीति करार दिया है। उनका कहना है कि बीजेपी चुनावी फायदा उठाने के लिए धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश कर रही है, जिससे राज्य का सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है। (Devendra Fadnavis)
विधानसभा चुनाव में वोटों के ध्रुवीकरण को लेकर बीजेपी की यह आक्रामक रणनीति राज्य में एक नया विवाद पैदा कर सकती है। “वोट जिहाद” और “धर्मयुद्ध” जैसे शब्दों के इस्तेमाल से यह मुद्दा न केवल राजनीतिक लड़ाई का रूप ले चुका है, बल्कि राज्य के सामाजिक ताने-बाने पर भी असर डाल सकता है। आगामी चुनाव में इस मुद्दे का क्या असर होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
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