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लोकल ट्रेनों पर फिर ब्रेक, क्या तैयार हैं मुम्बईकर

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मुंबई लोकल को लेकर जल्द ही बड़ी खुशखबरी, वेस्टर्न लाइन पर बढ़ेगी लोकल की संख्या

कोरोना Corona अगर महामारी है तो लॉकडाउन (Lockdown) लोगों के लिए किसी पहाड़ टूटने से कमनहीं. पूर्व के लॉकडाउन (Lockdown) के दर्द भरे अनुभव से लोग अभी उबर भी नहीं पाए थे किकोरोना के पुनः पलटवार ने सब को दहला दिया है. चूँकि कोरोना महाराष्ट्र में दोबारा किसी तूफ़ान की तरह लौटा है, जिसे झेल पाने की स्थिति में न सरकार हैऔर न ही जनता. जनता पहले ही टूट चुकी है. लगभग एक साल से अधिक समयसे जनता काम नहीं कर पा रही है. अतः वे घोर आर्थिक संकट के शिकार तो हैं ही, उन्हें कहीं से कोई मदद मिलती भी नहीं दिख रही है. यही हाल सरकार का भी है. उसके पास इस महामारी से अपनी जनता को बचाने के लिए बस एक ही उपाय है, लॉकडाउन (Lockdown) और अन्य पाबंदियां लगा देना . अतः सरकार इसी रास्ते पर चलती दिख रही है. कोरोना  के पलटवार के तुरंत बाद महाराष्ट्र सरकार ने पाबंदियां लगानी शुरू कर दी थी. जब कोरोना का दायरा और बढ़ा तो आखिरकार सरकार ने पहले नाईट कर्फ्यू और फिर नाईट कर्फ्यू के साथ वीकेंड लाकडाउन (Lockdown) की घोषणा कर दी. सरकार के इस रवेये से मुंबई की जनता हैरान – परेशान है. उसे डर सताने लगी है कि कहीं लॉकडाउन (Lockdown) के दायरे को कसती सरकार कहीं मुंबई की लाइफ लाइन लोकल ट्रेनों को पुनः बंद न कर दे. यह संभव है और यदि ऐसा हुआ, मुंबई की जनता के सिर यह पहाड़ टूट कर गिराने से कम न होगा. शायद इसी लिया जनभावना को देखते हुए विपक्षी नेता भी इसे तानाशाही और अनुपयोगी बता रहे हैं, लेकिन डाक्टर्स और स्वास्थ विशेषज्ञ इसके विपरीत सरकार के इन कदमों को नाकाफी करार दे रहे हैं. वे भीड़ को काबू में करने के लिए सरकार को और कठोरता बरतने की हिदायत भी देरहे हैं. महामारी के विशेषज्ञ गिरिधर बाबू की माने तो अभी तक जितनी पाबंदियां लगाई गयी हैं, वे नाकाफी हैं. इससे लोगों को जागरूक तो किया जा सकता है , लेकिन कोरोना पर आंशिक रोक-थाम ही संभव है. जब तक रात की पार्टियां, धार्मिक गतिविधियाँ और होटल-पब जैसे भीड़ बढ़ानेवाली गतिविधियों-जगहों पर सरकार रोक नहीं लगाती, तब तक रोग के एक-दुसरे में फ़ैलने की प्रक्रिया को नहीं रोका जा सकता है. संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. ओम श्रीवास्तव भी लोकल ट्रेनों को रोग फैलानेका कारक मानते हुए इस पर कण्ट्रोल की बात करते है. वहीँ केईएम के पूर्व डीन डॉ. अविनाश सुपे के मतानुसार, लोकल चलाये जाने के बाद ही कोरोना का कहर मुंबई बढ़ा है. अतः वे भी इस पर सख्ती की बात करते हुए बाक़ी भीड़-भाड़ और ऐसेआयोजनों, कार्यस्थलों पर प्रतिबन्ध की सिफारिश करते हैं जहां बिना मास्क के दूरियाँ बनाये रखने में चूक की संभावनाएं हैं .स्थिति बेहद संगीन है जनता के लिए भी और सरकार के लिए भी. दोनों आज उस जगह खड़े हैं, जहां एक ओर कुआं, तो दूसरी ओर खाई है. सरकार के पास प्रतिबंध और लॉक डाउन के अलावा कोई रास्ता नहीं है, तो पहले से ही आर्थिक तौर पर बुरीतरह टूटी जनता और अधिक बोझ उठाने की स्थिति में नहीं है. कुछ भी हो , कोरोना से जीत के लिए जरुरी शर्त ” सामाजिक – दूरी ” के नियमों का पालन तो हर किसी को करना ही होगा, साथ ही सरकार को भी कोई सकारात्मक या कहें जादुई तरीके इजाद करने होंगे, जो जनता के घाव पर मरहम का काम भी करे और कोरोना से मुकाबला भी l

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