आज नई-नई तकनीक की वजह से लोग सामाजिक परिवेश में अपने मनपसंद की वस्तुएं चुन रहे हैं । समाज में बहुत अधिक सुख और मनोरंजन (Entertainment) से भी लोगों को दुःख मिल रहा है।जिसकी वजह से व्यक्ति परेशान है। मनुष्यों (Human) की इस रंग बिरंगी जीवन यात्रा में जीवन सुख दुःख का संगम जैसे महसूस हो तो रहा है। लेकिन जीवन मे हर नए दिन बेहतर करने की कोशिश से ही इंसान अपने जीवन में सकारात्मक रह सकता है। कुछ लोग तो अतीत के बुरे अनुभव और भूलों पर इतने टिक जाते हैं कि अपने पुराने घावों को ही ताजा करने लगते हैं। इस स्थिति में वे इतने ज्यादा दुःखी हो जाते हैं कि उनके चेहरे पर मायूसी साफ-साफ देखी जा सकती है। उनकी इस सोंच से उनकी परिपक्वता भी खत्म होने वाली लगने लगती है। कभी किसी की शिकायत करने की भी इच्छा होती है तो वे किसी से शिकायत नहीं कर पाते हैं। सबकुछ ठीक ठाक होते हुए भी वे किसी से बात नहीं करते।
जिसकी वजह से उस व्यक्ति का शरीर पूरी तरह सुस्त हो जाता है ,जिसकी वजह से उसमें चिड़चिड़ापन आ जाता है। फिर वह व्यक्ति तमाम बीमारियों की चपेट में आकर और भी चिड़चिड़ाने लगता है। उसे भूख भी लगती है तो वह ठीक से खा भी नहीं पाता। उसके मन में हमेशा वही गुजरे हुए पल ,अतीत की परछाईं जैसे आगे पीछे घूमती रहती है।फिर धीरे धीरे उसका सम्पूर्ण जीवन घटने लगता है। इस गंभीर बीमारी की चपेट में अक्सर ज्यादा पढ़े-लिखे ही लोग आते हैं, जो अपने गुजरे हुए समय को क्लेश, दुःख,ग्लानि, अपमान, नुकसान, भय औऱ भूल में ही लिपट कर रह जाते हैं। वे किसी के भी अपमान जनक शब्द को नहीं भूलना चाहते हैं। उनको जीवन का कोई भी अच्छा पल न सुकून देता है और न ही आनंद देता है।
जीवन में सकारात्मक रहने वाले लोगों का व्यवहार मनोविज्ञान की नजर में बहुत ही सेहतमंद रहता है, क्योंकि किसी भी बुरी चीज को याद करने के बाद वह हमारे ऊपर इस तरह हावी हो जाती है ,वह कि हमें खोखला करने लगती है। जबकि वही अच्छी चीजें याद करने पर हमारे अंदर सकारात्मक और लाभदायक वाले हार्मोन बनने लगते हैं जिससे हमारा जीवन सामान्य हो जाता है और हम सुख का अनुभव प्राप्त करते हैं..!!
Report by : बृजेन्द्र प्रताप सिंह
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