Nashik City : महाराष्ट्र के नासिक शहर में चुनावों के मद्देनजर पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई की है। नासिक शहर पुलिस ने 348 अपराधियों को निर्वासन नोटिस जारी किया है, ताकि आगामी चुनावों में हिंसा या किसी भी अव्यवस्था को रोकने के लिए सख्ती से काम किया जा सके। यह कार्रवाई चुनावी शांति बनाए रखने और मतदाताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए की गई है।
पुलिस ने इन नोटिसों को विभिन्न राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों, खासकर भाजपा और अन्य प्रमुख पार्टियों के नेताओं पर जारी किया है, जिनके खिलाफ आपराधिक मामलों का रिकार्ड है। पुलिस द्वारा जारी किए गए निर्वासन नोटिस के तहत, इन अपराधियों को नासिक शहर से बाहर जाने या शहरी सीमा के बाहर रहने का निर्देश दिया गया है। यह कदम खास तौर पर उन व्यक्तियों के खिलाफ उठाया गया है, जिनके ऊपर पहले से गंभीर अपराधों जैसे कि हिंसा, उग्रवादी गतिविधियां, या चुनावी गड़बड़ी के मामले दर्ज हैं। (Nashik City)
पुलिस का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराना है, जिससे किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधियों से बचा जा सके। नासिक शहर पुलिस का कहना है कि निर्वासन नोटिस जारी करने का यह कदम केवल उन अपराधियों को निशाना बनाता है जो चुनावी मौसम में सक्रिय हो सकते हैं और मतदान प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश कर सकते हैं। पुलिस ने कहा कि चुनावों के दौरान किसी भी प्रकार की अव्यवस्था, मतदाता के अधिकारों का उल्लंघन, या हिंसा को रोकने के लिए यह एक जरुरी कदम था।
इस कार्रवाई के बाद, नासिक पुलिस ने यह भी सुनिश्चित किया है कि इन अपराधियों की निगरानी कड़ी रहेगी और वे चुनावी क्षेत्र से बाहर रहने तक पुलिस की सख्त निगरानी में रहेंगे। पुलिस अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई इन निर्देशों का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह कार्रवाई नासिक पुलिस के चुनावी सुरक्षा उपायों का हिस्सा है, जो राज्य के अन्य हिस्सों में भी लागू किए गए हैं। चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां इस बार चुनावों के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को अधिक कड़ा और प्रभावी बनाने के लिए हर संभव कदम उठा रही हैं। (Nashik City)
इस प्रकार की कार्रवाइयों से यह संदेश भी जाता है कि कानून और व्यवस्था को बनाए रखना पुलिस की सर्वोच्च प्राथमिकता है। हालांकि, विपक्षी दलों ने इस कदम पर सवाल उठाए हैं और इसे एक राजनीतिक टूल के रूप में देखा है, ताकि एक विशेष पार्टी के नेताओं या कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा सके। ऐसे में, यह देखना होगा कि चुनावी प्रक्रिया के दौरान यह कदम कितना प्रभावी साबित होता है।
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