Mumbai : मराठी भाषा को भले ही शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिल गया हो, लेकिन मुंबई में मराठी स्कूलों की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। बीते दस वर्षों में मुंबई महानगरपालिका क्षेत्र में 100 से अधिक मराठी स्कूल स्थायी रूप से बंद हो चुके हैं। इनमें से चौंकाने वाली बात यह है कि 40 स्कूल पिछले सिर्फ छह वर्षों में ही बंद हुए हैं।
मराठी माध्यम के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में भी भारी गिरावट आई है। आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में इन स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में 5,000 गुना तक की कमी दर्ज की गई है। यह गिरावट न केवल शिक्षा के स्तर पर चिंता का विषय है, बल्कि मराठी भाषा और संस्कृति के भविष्य के लिए भी गंभीर संकेत है। (Mumbai)
विशेषज्ञों का मानना है कि मराठी स्कूलों के बंद होने के पीछे कई कारण हैं। एक ओर जहां अभिभावकों का रुझान अंग्रेजी और कॉन्वेंट स्कूलों की ओर बढ़ा है, वहीं दूसरी ओर मराठी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी, शिक्षकों की संख्या और गुणवत्ता में गिरावट, और सरकारी उपेक्षा ने हालात को और भी बदतर बना दिया है।
मुंबई में निजी स्कूलों की बढ़ती संख्या और उनके द्वारा दिए जा रहे आधुनिक सुविधाओं और अंग्रेजी शिक्षा के आकर्षण ने मराठी माध्यम के स्कूलों को पीछे धकेल दिया है। अभिभावक बच्चों के भविष्य और करियर को देखते हुए अंग्रेजी शिक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके साथ ही, मराठी स्कूलों के पास अपने को आधुनिक रूप में प्रस्तुत करने और छात्रों को आकर्षित करने के साधन कम हैं। अगर यही स्थिति बनी रही, तो आने वाले समय में मराठी भाषा में शिक्षा पूरी तरह से हाशिये पर चली जाएगी। (Mumbai)
मराठी भाषा को जीवित रखने और स्कूलों को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार को तुरंत प्रभावी कदम उठाने होंगे। इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षक नियुक्ति, तकनीकी सुविधाएं, और जनजागरण जैसे प्रयासों की जरूरत है। अगर अब भी प्रयास नहीं किए गए, तो मराठी स्कूल सिर्फ इतिहास के पन्नों में रह जाएंगे।
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