लोकल ट्रेन के शुरू होने का इंतजार कर रहे मुंबईकरों के लिए बड़ी खबर हैं. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) द्वारा कोविद -19 मॉडल के मुताबिक नवंबर से मुंबई को पूरी तरह से शुरू किया जा सकता है. अगर अक्टूबर से पहले मुंबई को पूरी तरह से खोलने का फैसला लिया गया तो कोरोना संक्रमण की रफ़्तार दो गुनी हो जाएगी.
मॉडल ने चेतावनी दी है कि अगर अक्टूबर के पहले मुंबई लोकल ट्रेन को फिर से शुरू किया जाता है, तो मुंबई में कोरोना को नियंत्रण में करना मुश्किल हो सकती है. मॉडल ने ट्रेनों में भीड़भाड़ से बचने के लिए ऑफिस टाइमिंग पर जोड़ देने की सलाह दी है.
मॉडल में कहा गया है कि अगर कार्यालयों को सितंबर के मध्य तक शुरू होने वाली 50 प्रतिशत क्षमता पर कार्य करने की अनुमति दी जाती है, तो शहर में कुल कोविद मामले दिसंबर या जनवरी 2021 तक लगभग 7-8 मिलियन संचयी संक्रमणों को स्थिर कर देंगे.
टीआईएफआर (TIFR) के रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में दैनिक कामकाज 30 प्रतिशत तक शुरू किया जा सकता है. अक्टूबर में 50 प्रतिशत और नवंबर में मुंबई को 100 प्रतिशत के साथ पूरी तरह से शुरू किया जा सकता है.
यह मॉडल बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के साथ साझा किया गया है. मॉडल से पता चलता है कि अगर सितंबर के मध्य से कार्यालय पूरी तरह से खुल जाते हैं, तो शहर में कोरोना बेकाबू हो जाएगा, जिसमें रोजाना होने वाली मौतों में 35 से 50 की वृद्धि होगी, और दैनिक अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता 3,000 से 4,200 तक होगी. यदि एक नवंबर से पूरी ताकत से कार्यालय फिर से शुरू होते हैं, तो मृत्यु और अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या कम होगी.
टीआईएफआर से रामप्रसाद सप्तऋषि ने कहा “हमारा ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि मुंबई किस बिंदु को खोल सकती है. जब भी शहर खुलता है तो एक दूसरी लहर आएगी, लेकिन हम एक उचित समय सीमा प्रोजेक्ट करना चाहते थे, जब खुलने से चिकित्सा व्यवस्था पर दबाव नहीं पड़ेगा.”
मॉडल ने यह भी सलाह दी है कि स्कूलों और कॉलेज को जनवरी 2021 से शुरू करना चाहिए ताकि स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में कोई बाधा न आए.
TIFR में स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी एंड कंप्यूटर साइंस के डीन संदीप जुनेजा ने कहा कि कन्टेनमेंट ज़ोन को जारी रखा जाना चाहिए, हालांकि वे बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही को रोककर आर्थिक लागत को प्रभावित करते हैं. उन्होंने कहा, ”बहुत तेज गति से खुलने से संक्रमण फैल सकता है और अस्पताल में भर्ती होने के लिए मुश्किल हो सकती है.”
सिमुलेशन मॉडल को संदीप जुनेजा, रामप्रसाद सप्तर्षि और प्रल्हाद हर्षा द्वारा तैयार किया गया है, जो सभी स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी और कंप्यूटर साइंस के साथ काम कर रहे है. टीआईएफआर पहले मुंबई में बीएमसी के साथ सीरो-सर्वेक्षण का भी हिस्सा था और दूसरे सर्वेक्षण में बीएमसी के साथ सहयोग कर रहा है. पहले सर्वेक्षण में झुग्गी बस्तियों में 57 प्रतिशत और गैर-झुग्गी बस्तियों में 16 प्रतिशत कोरोनावायरस के संपर्क में पाए गए.