Delhi Police: दिल्ली पुलिस ने एक मानव अंग प्रत्यारोपण रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए एक डॉक्टर सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमित गोयल के मुताबिक, इस मामले का मास्टरमाइंड बांग्लादेशी है और मामले में दानकर्ता और प्राप्तकर्ता दोनों ही बांग्लादेश से हैं। इस रैकेट में शामिल सभी लोगों के बांग्लादेश से जुड़े होने का संदेह है।(Delhi Police)
डीसीपी गोयल ने एक बयान में कहा, “हमने रसेल नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जो मरीजों और डोनर की व्यवस्था करता था और ट्रांसप्लांट में शामिल एक महिला डॉक्टर को भी गिरफ्तार किया गया है।” मामले में गिरफ्तार सात लोगों से पूछताछ अभी भी जारी है। 2019 से चल रहे अंग प्रत्यारोपण रैकेट के बारे में गोयल ने कहा, “वे प्रत्येक प्रत्यारोपण के लिए 25-30 लाख रुपये लेते थे।”(Delhi Police)
डीसीपी के अनुसार, जिस डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया है, उसका दो-तीन अस्पतालों से संबंध है। डीसीपी गोयल ने कहा, “इस मामले में उसकी भूमिका यह थी कि वह अंग प्रत्यारोपण में मदद कर रही थी, जबकि उसे पता था कि दाता और प्राप्तकर्ता रक्त संबंधी नहीं थे, जिससे वह साजिश का हिस्सा बन गई।” भारत के मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम (2014) के अनुसार, अंग दान केवल माता-पिता और भाई-बहन जैसे निकट रक्त संबंधियों से ही किया जा सकता है। कोई भी भारतीय जीवित दाता किसी विदेशी प्राप्तकर्ता को अपने अंग दान नहीं कर सकता, जब तक कि वह प्राप्तकर्ता का करीबी रिश्तेदार न हो। साथ ही प्राप्तकर्ता के दूतावास के एक वरिष्ठ सदस्य को उनके और दाता के बीच संबंध को प्रमाणित करना होगा ताकि प्रत्यारोपण के लिए इसे वैध माना जा सके। इन मामलों पर भी तभी विचार किया जाता है जब अंग दान के लिए कोई भारतीय मरीज़ पात्र न हो।(Delhi Police)
Also Read: ‘साजिश से इंकार नहीं किया जा सकता’: हाथरस भगदड़ SIT रिपोर्ट में कही गई 5 बातें