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सड़क पर अंतिम संस्कार करने के लिए लोग मजबूर, मरने के बाद भी शांति नहीं

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हमारे देश को आजाद हुए 75 वर्षों से ज्यादा का समय हो गया है। लेकिन आज भी हमारे गांवों में रहने वाले लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसा ही कुछ नजारा महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के नेरली गांव में देखने को मिला है। जहां श्मशान भूमि ना होने के कारण ग्रामीण मृतकों की लाशों को सड़क पर जलाने के लिए मजबूर है।

इस नेरली गांव में आज तक श्मशान भूमि नहीं बन पाई है। जिसके कारण लोग सड़कों पर लाशों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। वहीं गांव वालों की श्मशान भूमि की मांग पर जिला प्रशासन भी ध्यान नहीं दे रहा है। ऐसा आरोप गांव वाले जिला प्रशासन पर लगा रहे हैं।

गांव वालों का मुताबिक, गांव का पुनर्वासन साल 1983 में हुआ था। लेकिन आज तक इस गांव में श्मशान नहीं बना है। जिसके कारण भारी बारिश के दौरान लोग खुले आसमान के नीचे अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर हैं। गांव वाले कई बार तहसीलदार से लेकर कलेक्टर तक श्मशान भूमि के लिए आवेदन कर चुके हैं। पर उन्हें आश्वासन के अलावा और कुछ नहीं मिला।

वहीं अब गांव वालों का प्रशासन के खिलाफ गुस्सा भी देखा जा सकता है। उनका अब प्रशासन पर से भरोसा उठ चुका है। वहीं उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि, ‘अगर श्मशान भूमि नहीं बनाया गया तो, अगली लाश तहसीलदार दफ्तर के बाहर जलाई जाएगी।

आपको मालूम हो कि, मराठवाड़ा का नांदेड़ जिला राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण का गृहजिला है। यहां से अशोक चव्हाण कई साल तक सांसद भी रहे हैं। जिसके बावजूद यहां के ग्रामीणों को
श्मशान जैसी मूलभूत सुविधा के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि कब सरकार इन गरीब और असहाय ग्रामीणों की मांग पर ध्यान देती है?

Reported by – Rajesh Soni

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