महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजधानी मुम्बई (Mumbai) में कोरोना (Corona) वायरस की जानलेवा दूसरी लहर ने शुरुआत में बहुत ज्यादा कहर बरपाया था। जिसके कारण राज्य सरकार को पूरे महाराष्ट्र में लॉकडाउन (Lockdown) जैसा कर्फ्यू लगाने के लिए मजबूर होने पड़ा। वहीं इस लॉकडाउन जैसे कर्फ्यू के कारण आम मुंबईकरों के नौकरी-धंधा बहुत ज्यादा प्रभावित हुए हैं। ऊपर से उन्हें रोजाना बढ़ती महंगाई के कारण ढ़ेर सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा रहा है।
आलम यह है कि मुंबई में पेट्रोल की कीमत 100 रुपए के आंकड़ें को पार कर चुकी है। पेट्रोल-डीजल की बेहताशा बढ़ती कीमतों ने आम मुम्बई कर की कमर तोड़ दी है। महंगाई से परेशान आम मुम्बईकर का दर्द मेट्रो मुम्बई की टीम ने जाना। हमारी रिपोर्टर स्वाति और प्रीति ने मुम्बई के बोरीवली पश्चिम और पूर्व के पेट्रोल पंपों पर जाकर पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर आम आदमी से बातचीत की है।
बातचीत के दौरान पेट्रोल की लगातार बढ़ती कीमतों से परेशान एक मुम्बईकर ने कहा कि, ‘सारे पैसे पेट्रोल पर खर्च कर देंगे तो खाएंगे और बचाएंगे क्या? सरकार को पेट्रोल-डीजल की कीमतों को कम करने के लिए कुछ करना चाहिए। लॉकडाउन के चलते हमें मजबूरन निजी गाड़ी का इस्तेमाल करना पड़ रहा है।
लॉकडाउन जैसे कर्फ्यू के कारण आम मुंबईकरों को मुम्बई की लाइफ लाइन लोकल ट्रेन में यात्रा करने की अनुमति नहीं है। वहीं राज्य सरकार बेस्ट बसों को भी 50 प्रतिशत क्षमता के साथ चला रही है। इसी वजह से आम मुंबईकरों को अपने दफ्तर या कुछ भी काम के लिए मजबूरन अपने निजी वाहनों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है।
वर्तमान समय में देश के शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपयों को पार कर गई है। वहीं डीजल की कीमत भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। ऐसे में एक बार फिर प्रश्न यही उठ रहा है कि आखिर सरकार करों में कटौती कर क्यों पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर लगाम नहीं लगा रही है? पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतों के लिए इन पर लगने वाला केंद्र और राज्य सरकारों के बड़े पैमाने पर टैक्स जिम्मेदार है।
Report by : Rajesh Soni
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