Raj Thackeray : महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने मनसैनिकों को बैंकों में मराठी भाषा के उपयोग के लिए किए जा रहे विरोध प्रदर्शन को रोकने का आदेश दिया है। राज ठाकरे ने कहा कि इस मुद्दे पर अब काफी जागरूकता फैल चुकी है, और मनसैनिकों ने जो संघर्ष किया है, वह इसके लिए पर्याप्त है। उन्होंने कहा, “अब हमें इस आंदोलन को रोका जा सकता है, क्योंकि मराठी भाषा के अधिकारों के लिए जो जागरूकता फैली है, वह महत्वपूर्ण है।”
राज ठाकरे का यह बयान उस समय आया, जब उनकी पार्टी ने बैंकों में मराठी भाषा के उपयोग को बढ़ाने की मांग को लेकर जोरदार आंदोलन छेड़ा था। मनसैनिकों ने बैंकों में जाकर प्रदर्शन किया था और मराठी में लेटरहेड्स और अन्य दस्तावेज़ों का उपयोग सुनिश्चित करने की मांग की थी। ठाकरे ने अपने पत्र में मनसैनिकों से कहा कि “अब हमें कानून का पालन करना चाहिए और बैंकों में मराठी के इस्तेमाल को लेकर सरकार को जिम्मेदार ठहराना चाहिए।” उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बयान पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें मुख्यमंत्री ने यह चेतावनी दी थी कि अगर कोई कानून हाथ में लेता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। (Raj Thackeray)
वहीं, इस पर वकील गुणरत्न सदावर्ते ने राज ठाकरे पर तंज करते हुए सवाल उठाया कि “मराठी के नाम पर क्या सौदा हुआ?” उनका यह सवाल इस बात से जुड़ा था कि क्या इस मुद्दे पर किसी तरह का राजनीतिक समझौता हुआ है, क्योंकि ठाकरे ने अचानक आंदोलन को रोकने का आदेश दिया। सदावर्ते ने राज ठाकरे से यह पूछा कि आखिर मराठी भाषा के हक में उठाए गए कदमों का असली उद्देश्य क्या था और क्या इसमें कोई व्यापारिक समझौता हुआ है?
गुणरत्न सदावर्ते का यह बयान राजनीति और समाज में एक नई बहस को जन्म दे सकता है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह आंदोलन सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए था या वाकई मराठी भाषा के अधिकारों की रक्षा के लिए?
राज ठाकरे के इस फैसले ने मराठी भाषिक संगठनों में चर्चा का विषय बना दिया है। इस निर्णय से यह साफ हो गया है कि मनसे अब इस मुद्दे पर आगे बढ़ने का कोई और रास्ता नहीं अपनाएगी, लेकिन सदावर्ते जैसे नेता इसे एक नए दृष्टिकोण से देख रहे हैं। (Raj Thackeray)
राज ठाकरे का यह बयान यह भी दर्शाता है कि वह मराठी भाषा के मुद्दे पर अपनी पार्टी के द्वारा उठाए गए कदमों को एक ठोस दिशा देना चाहते हैं, लेकिन साथ ही यह भी बताता है कि राजनीतिक फायदे के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
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