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RBI : रेपो रेट कटौती से लोन सस्ते, FD ब्याज घटेगा।

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RBI : रेपो रेट कटौती से लोन सस्ते, FD ब्याज घटेगा।

RBI  : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा हाल ही में रेपो रेट में की गई कटौती का असर अब बैंकिंग सेक्टर में साफ तौर पर दिखने लगा है। जहां एक ओर बैंकों ने लोन की ब्याज दरों में कटौती की शुरुआत कर दी है, वहीं दूसरी ओर अब फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर मिलने वाले ब्याज में भी गिरावट देखने को मिल रही है। इससे उन निवेशकों के लिए चिंता बढ़ गई है, जो एफडी को सुरक्षित और स्थिर मुनाफे का जरिया मानते हैं।

RBI ने 9 अप्रैल को रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती की घोषणा की थी, जिससे यह दर 6.25% से घटकर 6.00% हो गई है। रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। जब रेपो रेट घटता है, तो बैंकों के लिए फंडिंग सस्ती हो जाती है, और इसका असर सीधे लोन तथा जमा दरों पर पड़ता है। (RBI )

इसका पहला असर लोन की ब्याज दरों पर पड़ा है। पब्लिक सेक्टर के चार प्रमुख बैंक—पंजाब नेशनल बैंक, यूको बैंक, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया—ने अपने लोन की ब्याज दरों में कटौती की घोषणा कर दी है। इससे व्यक्तिगत, गृह और वाहन ऋण लेने वाले ग्राहकों को राहत मिलने की उम्मीद है।

लेकिन इस राहत का दूसरा पहलू उन निवेशकों के लिए परेशानी का कारण बन रहा है, जो एफडी के जरिए सुरक्षित मुनाफा कमाते थे। निजी क्षेत्र के कोटक महिंद्रा बैंक ने 9 अप्रैल से एफडी की ब्याज दरों में 15 बेसिस पॉइंट्स यानी 0.15% की कटौती कर दी है। यह बदलाव सभी परिपक्वता अवधियों की एफडी पर लागू हुआ है। बैंक के इस कदम से संकेत मिलता है कि अन्य बैंक भी जल्द ही इसी राह पर चल सकते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में अधिकांश बैंक एफडी की ब्याज दरों में कटौती करेंगे, क्योंकि रेपो रेट में गिरावट का सीधा असर जमा दरों पर होता है। ऐसे में जो लोग निकट भविष्य में एफडी कराने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए यह सही समय है कि वे जल्दी निवेश करें, ताकि उन्हें वर्तमान दरों पर लाभ मिल सके। (RBI )

यह परिस्थिति उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो एफडी से मिलने वाले ब्याज पर अपनी मासिक आय का बड़ा हिस्सा निर्भर करते हैं। यदि एफडी की दरों में और गिरावट आती है, तो उनकी आय पर असर पड़ सकता है।

निष्कर्षतः, RBI की मौद्रिक नीति में नरमी का असर ग्राहकों के लिए दोहरा है—एक ओर कर्ज सस्ता हो रहा है, जिससे कर्ज लेने वालों को फायदा होगा, वहीं दूसरी ओर सुरक्षित निवेश विकल्प जैसे एफडी पर मिलने वाला मुनाफा घट रहा है। इसलिए, निवेशकों को बाजार की मौजूदा स्थिति को समझकर सोच-समझकर और समय रहते निर्णय लेना चाहिए, ताकि उन्हें भविष्य में कम ब्याज दरों का सामना न करना पड़े।

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