Sanjay Raut and Eknath Shinde : संजय राउत, जो शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के वरिष्ठ नेता हैं, ने हाल ही में एकनाथ शिंदे पर तीखा हमला किया है। उनका यह बयान उस समय आया है जब वर्ली निर्वाचन क्षेत्र में महायुति का कोई उम्मीदवार नहीं है। राउत ने शिंदे से सवाल किया कि वे स्वयं चुनाव लड़ने का साहस क्यों नहीं जुटा रहे हैं, या फिर भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह को उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव क्यों नहीं रखते।
राउत ने इस बात पर जोर दिया कि चुनावी राजनीति में स्पष्टता और सक्रियता आवश्यक है। उन्होंने कहा, “अगर एकनाथ शिंदे को विश्वास है कि वे जीत सकते हैं, तो उन्हें स्वयं चुनावी मैदान में उतरना चाहिए। यह केवल एक राजनीतिक खेल नहीं है, बल्कि लोगों के भविष्य से जुड़ा मामला है।” राउत ने यह भी कहा कि शिंदे को यह समझना चाहिए कि उनकी लोकप्रियता कितनी है और वे वास्तव में कितना समर्थन जुटा सकते हैं। (Sanjay Raut and Eknath Shinde)
इसके साथ ही, राउत ने सांगोला, रामटेक और श्रीगोंदा सीटों पर चर्चा का उल्लेख किया और कहा कि इन सीटों के उम्मीदवारों पर जल्द ही फैसला लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि महायुति में उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता होनी चाहिए ताकि जनता को सही प्रतिनिधि मिल सकें।
राउत का यह बयान न केवल शिंदे की राजनीतिक स्थिति पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि शिवसेना में आंतरिक संघर्ष अभी भी जारी है। शिंदे के नेतृत्व में नई सरकार बनने के बाद से ही यह चर्चा चल रही है कि पार्टी के भीतर मतभेद बढ़ गए हैं। (Sanjay Raut and Eknath Shinde)
राजनीति में इस तरह के बयान और आरोप-प्रत्यारोप सामान्य हैं, लेकिन राउत की टिप्पणी इस बात का संकेत है कि वे शिंदे को चुनौती देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि महायुति को केवल ताकतवर नेता ही नहीं, बल्कि ऐसे नेता की भी आवश्यकता है जो जनता के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करवा सके।
आखिरकार, यह केवल चुनावी रणनीति का हिस्सा है, लेकिन राउत की बातें यह दर्शाती हैं कि आने वाले समय में महाराष्ट्र की राजनीति में और भी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं।
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