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Shivsena dispute in Thane : भाजपा-शिंदे गुट के बीच तनाव बढ़ा।

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Shivsena dispute in Thane : भाजपा-शिंदे गुट के बीच तनाव बढ़ा।

Shivsena dispute in Thane : लोकसभा चुनाव से पहले ठाणे जिले में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सांसद श्रीकांत शिंदे के कल्याण निर्वाचन क्षेत्र में शील-तलोजा मार्ग के किनारे स्थित 14 गांवों को नवी मुंबई नगर निगम (NMMC) में शामिल करने के फैसले पर भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच मतभेद उभर आए हैं। वन मंत्री गणेश नाइक ने इस फैसले का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखा है, जिसमें मांग की गई है कि इन गांवों को नगर निगम से बाहर रखा जाए।

भाजपा-शिंदे गुट में टकराव
गणेश नाइक के विरोध के बाद शिवसेना शिंदे गुट के विधायक राजेश मोरे ने कहा, “ये गांव नवी मुंबई नगर निगम के भीतर ही रहेंगे, लेकिन हम गणेश नाइक को मनाने की कोशिश करेंगे।” मोरे ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार से चर्चा की जाएगी। हालांकि, नाइक के सख्त रुख से इस मामले ने ठाणे में भाजपा और शिवसेना शिंदे गुट के बीच तनाव बढ़ा दिया है। (Shivsena dispute in Thane)

ठाकरे गुट की एंट्री और बढ़ता विवाद
इस विवाद में अब उद्धव ठाकरे गुट भी कूद पड़ा है। ठाकरे गुट के कल्याण ग्रामीण जिला प्रमुख दीपेश म्हात्रे ने भाजपा-शिंदे गुट पर निशाना साधते हुए कहा, “सत्ताधारी दलों ने इन गांवों को फुटबॉल के मैदान में बदल दिया है। सड़क, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है और विकास पूरी तरह ठप है।” म्हात्रे ने आरोप लगाया कि राजनीतिक दलों ने गांव में संघर्ष समिति बनाकर इसे चुनावी मुद्दा बना दिया है।

आगे की रणनीति
गणेश नाइक ने अपने रुख पर कायम रहते हुए साफ किया है कि वह गांववालों के हित के लिए पीछे नहीं हटेंगे। दूसरी ओर, शिवसेना शिंदे गुट का मानना है कि बातचीत के जरिए समाधान निकाला जा सकता है। भाजपा भी चाहती है कि यह मामला जल्द सुलझ जाए ताकि चुनाव से पहले आंतरिक कलह का असर मतदाताओं पर न पड़े। (Shivsena dispute in Thane)

क्या बनेगा हल?
इस पूरे मामले ने ठाणे की राजनीति को गरमा दिया है। चुनाव नजदीक होने के कारण यह मुद्दा और तूल पकड़ सकता है। अब देखना होगा कि भाजपा-शिंदे गुट और गणेश नाइक के बीच बातचीत से कोई समाधान निकलता है या फिर यह विवाद चुनावी रण में एक बड़ा मुद्दा बन जाएगा। फिलहाल, इन 14 गांवों का भविष्य राजनीतिक खींचतान के बीच अटका हुआ है।

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