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Special Story: ब्रह्मांड में शराब का ग्रह

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हमारा ब्रह्मांड अनंत है। ना इसका कोई छोर है, ना इसका कोई मध्य है। वहीं हमारा ब्रह्मांड कई अजीबो-गरीब रहस्यों से भरा हुआ है। हम हमारे ब्रह्मांड को जितना समझने की कोशिश करते हैं। उतना ही और इसके बारे में जानकार हैरान-परेशान हो जाते हैं। हमारे ब्रह्मांड में अरबों खरबों ग्रह हैं। इन सभी ग्रहों की अलग -अलग खूबियां हैं। यहां कोई ग्रह हीरों से बना हुआ है तो, कोई ग्रह तारकोल से भरा हुआ है।

एक ग्रह ऐसा है जहां धरती के महासागरों से 140 खरब गुना ज्यादा पानी है। आप अगर इन ग्रहों के बारे में जानकर अचंबित हो गए है तो, हम आपको आज एक ऐसे ग्रह के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसके बारे में जानकर आप चौंक जाएंगे। आज हम आपको एक ऐसे ग्रह के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां शराब का महासागर है। और इस ग्रह का नाम सागीट्टरियस B 2 है। इस ग्रह को हम ब्रह्मांड का अजूबा भी कह सकते हैं।

शराब का यह हमारी आकाशगंगा के केंद्र से 390 प्रकाश वर्ष दूर मौजूद है। जो व्यास में 463,000,000,000 किलोमीटर और आश्चर्यजनक रूप से, इसमें 10 बिलियन लीटर अल्कोहल है। इस ग्रह का एक बादल पूरा का पूरा इथाइल आल्कोहोल से बना हुआ है। और इसमें अरबों लीटर शराब का भंडार मौजूद है। इसी ग्रह में शराब का महासागर भी है।

इस अनंत ब्रह्मांड की सभी जटिलताओं को जान पाना मनुष्य के लिए लगभग असंभव है। लेकिन मनुष्य खोजी फितरत का प्राणी है। इसी वजह से वो ब्रह्मांड की जटिलताओं को समझने के लिए सालों से लगा हुआ है। आज के आधुनिक युग में हम जो भी ब्रह्मांड के बारे में जान पाते हैं। वह दुनियां भर की प्रमुख एजेंसियां की मदद से जान पाते हैं।

हम इंसान जिस ग्रह पर रहते हैं, हम उसे धरती कहते हैं। धरती सौर मंडल का हिस्सा है। हमारे सौर मंडल में नौ ग्रह हैं। यह सारे के तारे 9 ग्रह सूरज का चक्कर लगाते हैं। सूरज एक तारा है, जो हमारी आकाशगंगा ‘मिल्की वे’ का एक हिस्सा है। आकाशगंगा बहुत सारे ग्रह, तारे, उल्कापिंड और धूम केतुओं को मिलकर बनती है। ब्रह्मांड में हमारी आकाशगंगा मिल्की वे जैसी बहुत सी आकाशगंगाएं हैं। इनकी गिनती और आकार के बारे में अब तक वैज्ञानिक सही अंदाजा नहीं लगा पाए हैं। पर कड़ी मेहनत के बाद कुछ वैज्ञानिकों ने हमारे धरती को नापने का दांवा किया है। ताजा अंदाजा के हिसाब से हमारा ब्रह्मांड 93 अरब प्रकाश वर्ष चौड़ा है। प्रकाश वर्ष वो पैमाना है, जिससे हम लंबी दूरियां नापते हैं। इस अनंत ब्रह्मांड में हमारी धरती कुछ ऐसी है जैसे की प्रशांत महासागर में पानी की एक बूंद।

Report by : Rajesh Soni

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