Eknath Shinde and Devendra Fadnavis : मुंबई में महागठबंधन के भीतर सीटों को लेकर चल रही दरार अब भी सुलझने का नाम नहीं ले रही है। इस समय, एकनाथ शिंदे समूह कई महत्वपूर्ण सीटों पर अपनी दावेदारी ठोक रहा है, जिसमें वर्सोवा, अंधेरी पूर्व, शिवडी, वर्ली, कलिना और चेंबूर शामिल हैं। ये सभी सीटें पहले शिवसेना के पास थीं और इन्हें लेकर राजनीतिक तनाव बढ़ गया है।
गठबंधन में दो प्रमुख दलों, एकनाथ शिंदे समूह और बीजेपी, के बीच सीटों की अदला-बदली की बातचीत चल रही है। बीजेपी भी शिवडी, वर्सोवा और चेंबूर सीटों पर अपनी दावेदारी कर रही है, जिससे स्थिति और जटिल होती जा रही है। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या आज तक दोनों पार्टियों की दावेदारी वाली सीटों की स्थिति स्पष्ट हो पाएगी या नहीं। (Eknath Shinde and Devendra Fadnavis )
हालांकि, यह भी स्पष्ट है कि जिन सीटों पर शिवसेना का कोई उम्मीदवार नहीं है, वहां शिवसेना ने अपने उम्मीदवारों को आयात करने की योजना बनाई है। इससे यह संकेत मिलता है कि शिवसेना अपनी चुनावी ताकत बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। पार्टी ने यह रणनीति अपनाई है ताकि उनकी उपस्थिति और प्रभाव कम न हो सके।
इस राजनीतिक संकट के पीछे विभिन्न कारण हैं। एक तरफ, यह सीटों का विभाजन है, तो दूसरी तरफ, दोनों दलों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा। अगर यह विवाद जल्दी सुलझ नहीं पाया, तो इसके परिणाम गठबंधन की ताकत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। खासकर जब चुनाव नजदीक हों, तो इस तरह के विवादों का चुनावी नतीजों पर गंभीर असर हो सकता है। (Eknath Shinde and Devendra Fadnavis )
अंत में, महागठबंधन में चल रही यह दरार न केवल मुंबई की राजनीति को प्रभावित कर रही है, बल्कि यह स्थानीय मतदाताओं के लिए भी चिंता का विषय बन गई है। अब यह देखना होगा कि दोनों पक्ष किस तरह से अपनी दावेदारी और सीटों के विवाद को सुलझाते हैं और क्या वे अपने मतदाताओं को संतुष्ट कर पाएंगे। इससे यह तय होगा कि अगले चुनावों में किस दल को कितना लाभ या हानि होगी।
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