BJP and Congress : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की राजनीतिक बिसात पर इस बार का मुकाबला काफी दिलचस्प है। चुनावी माहौल मुख्य रूप से एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच की प्रतिद्वंद्विता, साथ ही अजीत पवार और शरद पवार के बीच की राजनीतिक लड़ाई पर केंद्रित है। लेकिन असली प्रतिस्पर्धा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच होती दिख रही है, जो राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आ रही है।
राज्य की कुल 288 सीटों में से 74 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस का आमना-सामना होना तय है। यह सीटें दोनों दलों के लिए न केवल राजनीतिक महत्व रखती हैं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इनके परिणामों का गहरा असर पड़ेगा। भाजपा, जो कि वर्तमान में राज्य में सत्ता में है, अपने परचम को बनाए रखने के लिए पूरी कोशिश करेगी, जबकि कांग्रेस अपने खोए हुए आधार को पुनः स्थापित करने की कोशिश में है। (BJP and Congress)
भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने-अपने गठबंधन, महायुति और महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) के तहत चुनावी रणनीतियां तैयार की हैं। भाजपा, जो पहले से ही सत्ता में है, ने अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए कुछ प्रमुख मुद्दों को उठाने की योजना बनाई है, जैसे कि विकास, सुरक्षा और स्थिरता। दूसरी ओर, कांग्रेस ने सामाजिक न्याय, बेरोजगारी और कृषि संकट जैसे मुद्दों को प्रमुखता दी है, ताकि मतदाताओं का ध्यान अपनी ओर खींच सके।
जमीन पर, यह चुनावी लड़ाई केवल सीटों के लिए नहीं, बल्कि विचारधाराओं के बीच संघर्ष का भी प्रतीक है। भाजपा ने अपने चुनावी प्रचार में एक राष्ट्र, एक पहचान की बात की है, जबकि कांग्रेस ने अपने इतिहास और सामाजिक नीतियों पर जोर दिया है। इस स्थिति में दोनों दलों के लिए यह महत्वपूर्ण होगा कि वे मतदाताओं के बीच अपनी स्वीकार्यता को बढ़ाएं। (BJP and Congress)
इस चुनाव में एक महत्वपूर्ण कारक यह भी होगा कि मतदाता किन मुद्दों को प्राथमिकता देते हैं। यदि भाजपा अपनी विकास की कहानी को मजबूती से प्रस्तुत कर पाती है, तो उसे फायदा मिल सकता है। वहीं, यदि कांग्रेस ने अपने पारंपरिक वोट बैंक को पुनर्जीवित करने में सफल रही, तो उसे प्रतिस्पर्धा में एक नई ऊर्जा मिलेगी। इस प्रकार, आने वाला चुनाव न केवल भाजपा और कांग्रेस के बीच की प्रतिस्पर्धा का प्रतीक है, बल्कि यह महाराष्ट्र की राजनीतिक दिशा को भी तय करेगा।
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