Coastol Road : गणतंत्र दिवस से मुंबईवासियों का सफर और भी तेज़ होने जा रहा है। ‘धर्मवीर स्वराज्यरक्षक छत्रपती संभाजी महाराज कोस्टल रोड’ 26 जनवरी से पूरी क्षमता के साथ मुंबईकरों की सेवा में आ जाएगा। कोस्टल रोड की वजह से बांद्रे से मारिन ड्राइव तक का सफर महज 12 मिनट में पूरा होगा। इससे मुंबईवासियों का 50 मिनट का समय बचेगा और साथ ही यातायात जाम से भी राहत मिलेगी।
मुंबई में कई नई परियोजनाओं पर काम चल रहा है, जैसे मेट्रो, मुंबई लोकल प्रोजेक्ट्स आदि। कोस्टल रोड बीएमसी का एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। इस परियोजना के लिए बीएमसी द्वारा 14 हजार करोड़ रुपये का बजट खर्च किया गया है। 2018 से इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ था और 2023 तक इसके पूरे होने की उम्मीद थी, लेकिन कुछ कारणों से परियोजना का समय बढ़ा और इसमें कई अड़चनें आईं। अब, कोस्टल रोड का काम पूरा हो चुका है और इसे बांद्रे सी लिंक से जोड़ा जाएगा। (Coastol Road )
कोस्टल रोड प्रोजेक्ट की संरचना: कोस्टल रोड में प्रिंसेस स्ट्रीट फ्लाईओवर से बांद्रे वर्ली सी लिंक तक 10.58 किलोमीटर लंबा मार्ग बनाया गया है। अब इस सागरी मार्ग को 4.5 किलोमीटर लंबी बांद्रे-वर्ली सी लिंक से जोड़ा जाएगा। इससे बांद्रे से मारिन ड्राइव तक के सफर का समय 50 मिनट से घटकर सिर्फ 12 मिनट रह जाएगा, जिससे 70 प्रतिशत ईंधन की बचत होगी और समय में 34 प्रतिशत की कमी आएगी। पहले 15 किलोमीटर के सफर में 50 मिनट का समय लगता था, अब वह सिर्फ 12 मिनट में पूरा होगा। (Coastol Road )
मुंबई में बढ़ती वाहनों की संख्या के कारण यातायात जाम और प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ रही थी, लेकिन कोस्टल रोड इन सभी समस्याओं का समाधान है।
कोस्टल रोड के फायदे: कोस्टल रोड के साथ-साथ 7.5 किलोमीटर लंबा फुटपाथ भी बनवाया जाएगा, जो प्रियदर्शिनी पार्क से लेकर वर्ली सी फेस तक होगा। इस पर साइकिल ट्रैक भी उपलब्ध होगा।
मार्ग पर स्पीड लिमिट 80 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक होगी। यहां एक ‘फुलपाखरू उद्यान’, खेल मैदान, बच्चों के लिए स्लाइड्स, झूलों और सी सॉ प्लेटफॉर्म्स का भी निर्माण किया जाएगा।
कोस्टल रोड में भूमिगत पार्किंग भी बनाई जाएगी, जैसे अमर सन्स में 256 वाहन, महालक्ष्मी मंदिर और हाजी अली में 1,200 वाहन और वर्ली सी फेस पर 400 वाहन की क्षमता वाली पार्किंग होगी।
यह बोगदें ‘न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग’ तकनीक से बनाए गए हैं, जिनसे आपातकालीन स्थिति में यात्री और वाहन सुरक्षित रूप से बाहर निकल सकते हैं। बोगदों को कंट्रोल रूम, स्वचालित नियंत्रण और पुलिस सुरक्षा प्रणालियों से जोड़ा जाएगा।
यह परियोजना न केवल यातायात की समस्याओं को हल करेगी, बल्कि पर्यावरणीय सुधार में भी योगदान देगी।
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