महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजधानी मुम्बई (Mumbai) अप्रैल (April) की शुरुआत में कोरोना (Corona) वायरस की जानलेवा दूसरी लहर से देश में सबसे ज्यादा ग्रस्त शहरों की सूचि में टॉप पर था। हालांकि राज्य सरकार के कड़े प्रतिबंधों के कारण कोरोना की स्थिति को काफी हद तक कंट्रोल कर लिया गया है। पर अभी तक कोरोना का खतरा टला नहीं है। वहीं मुम्बईकर भी कोरोना वायरस की दूसरी लहर के प्रति जागरूक नजर आ रहे हैं। इसी कड़ी में मेट्रो मुम्बई के रिपोर्टर स्वाति और प्रीति ने मुम्बई के कुछ बुजुर्गों से कोरोना पर उनकी राय जानी है।
बुजुर्गों से बातचीत के दौरान एक वरिष्ठ नागरिक ने कहा कि, ‘उन्हें नहीं पता कोरोना क्या है? वहीं बुजुर्ग को लॉकडाउन के बारे में भी कुछ नहीं पता। वहीं एक बुजुर्ग ने कहा कि, ‘कोरोना से डरने की नहीं बल्कि लड़ने की जरूरत है।
कोरोना काल में हर एक व्यक्ति के लिए खुद को सुरक्षित रखना किसी चुनौती से कम नहीं है। वहीं यह चुनौती बुजुर्गों के सामने और ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि वे शारीरिक रूप से बहुत ज्यादा कमजोर होते हैं। ऐसे में हमारे बुजुर्ग खुद से ज्यादा अपनी सुरक्षा के लिए हम पर ज्यादा निर्भर होते हैं। बुजुर्गों की रोध-प्रतिरोधक क्षमता बहुत ज्यादा कमजोर होती है। ऐसे में उनके संक्रमण की चपेट में आने की बहुत ज्यादा संभावना है। इसलिए यह हमारा दायित्व बनता है कि हम बुजुर्गों का इस कठिन समय में ज्यादा से ज्यादा ख्याल रखें।
Report by : Rajesh Soni
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