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कोविड महामारी मैं उच्च न्यायालय महाराष्ट्र में अपराध का ब्यौरा मांगा

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बबई उच्च न्यायालय (High Court) ने महाराष्ट (Maharashtra) सरकार को निर्देश दिया इस कोविड- 19 (COVID-19) कि महामारी के सभी आरोपियों का ब्यौरा दे और राज्य में वर्तमान अपराध की जानकारी का अदालत को सूचित करें।

राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणि ने अदालत को जानकारी दी इस महामारी के दौरान जेलो मैं इस प्रकार भीड़ भाड़ कम करने के लिए केदियो का आपातकालीन पैरोल पर उच्च स्तरीय समिति के आदेश का पालन करे लेकिन राज्य के जेलो में अभी भी भीड़भाड़ है। अदालत ने राज्य सरकार से अपराध दर का ब्योरा तलब किया। जहां अभी नई गिरफ्तारी के कारण जेल की भीड़ कम होना किसी चुनौती सर कम नहीं, कुभकोणी ने कहा

अदालत के आदेश अनुसार राज्य की सात जेलों से 2168 कैदियों को जमानत पर रिहा किया गया है।उन्होंने कहा कि अदालत के आदेश के बाद कैदियों एवं जेल कर्मचारियों के लिए टीकाकरण अभियान तेज कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि अधिक संख्या में कैदियों की कोविड-19 जांच की जाएगी और अब कैदियों में मरीजों की संख्या घटकर 114 रह गई है। उन्होंने बताया कि आपातकालीन पैरोल के पात्र 26 कैदियों ने अभी तक रिहाई के लिए आवेदन नहीं किया है।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी. एस. कुलकर्णी की पीठ ने बुधवार को कहा कि राज्य को जेलों में भीड़भाड़ के मुद्दे का समाधान करना आवश्यक है। जेल में भीड़ भाड इसलिए होती है क्योंकि पुलिस गिरफ्तारी कर रही है। पीठ ने जिस अर्नेश कुमार फैसले का जिक्र किया वह उच्च न्यायालय का 2014 का फैसला है जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा कि पुलिस अधिकारी सुनिश्चित करें कि अनावश्यक गिरफ्तारियां नहीं की जाएं और मजिस्ट्रेट अकस्मात हिरासत को अधिकृत नहीं करें और विशिष्ट निर्देशों का पालन किया जाए।

Report by : Urmila Jaiswal

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