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क्या उद्धव ठाकरे लॉकडाउन को दिसम्बर तक बढ़ाएंगे?

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महाराष्ट्र (Maharashtra) में 15 जून तक लॉकडाउन(Lockdown) बढ़ा दिया गया है। राज्य के कई जिलों में कोरोना(Corona) मरीजों की संख्या कम नहीं हुई है। जिसके चलते लॉकडाउन बढ़ाने का निर्णय उद्धव सरकार द्वारा लिया गया है। इसी परिस्थिति के बीच महाराष्ट्र के तांत्रिक सलाहकार डॉक्टर सुभाष सालुंखे ने पुणे(Pune) में एक बड़ा बयान दिया है।

सुभाष सालुंखे(Subhas ने कहा कि, ‘महाराष्ट्र की स्वास्थ्य व्यवस्था को ऐसे ही दिसंबर तक बनाए रखने की जरूरत है। उनके इसी बयान के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि, ‘क्या महाराष्ट्र में दिसंबर तक लॉकडाउन लागू रहेगा? आइये इसी प्रश्न का जवाब जानते हैं।

हालही में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था कि, ‘पिछले साल कोरोना की पहली लहर के दौरान सितंबर महीने में सबसे ज्यादा केस थे, अभी महाराष्ट्र उसी परिस्थिति में है। इसी बीच महाराष्ट्र के तांत्रिक सलाहकार डॉक्टर सुभाष सालुंखे ने भी कहा कि, ” ऐसे ही दिसंबर तक बनाए रखने की जरूरत है। सालुंखे के इसी बयान बाद के बाद अर्थ निकाला जा रहा है कि क्या महाराष्ट्र में दिसंबर तक लॉकडाउन लागू रहेगा? इस प्रश्न का जवाब ढूंढने के लिए पहले हम पिछले साल सितंबर महीने में महाराष्ट्र की स्थिति क्या थी? इसके बारे में जान लेते हैं।

आपको बता दें कि, ’15 सितंबर 2020 को 20 हजार 542 कोरोना मरीज संक्रमित पाए गए थे। जबकि उस दौरान 24 घंटों में 515 लोगों की मृत्यु हुई थी। वहीं अब 30 मई 2021 को 18 हजार 600 नए कोरोना मिले। जबकि उस दौरान 24 घंटों में 402 लोगों की मृत्यु हुई थी।

अब पिछले साल के सितंबर और इस साल के मई महीने में दर्ज किए गए नए कोरोना मरीजों के मिलने की तुलना की जाए तो, अभी हमने कोरोना से उभरते हुए पिछले साल के उच्चतम स्तर की बराबरी कर ली है।

आइये अब जानते है कि मृत्यु दर में कितना फर्क पड़ा है। सितम्बर 2020 में मृत्यु दर लगभग 2.65 परसेंट थी। वहीं सितंबर 2020 में एक दिन में सबसे ज्यादा 515 लोगों की मौत दर्ज की गई थी। वहीं मई 2021 के आखिरी हफ्ते में मृत्यु दर 1.62 प्रतिशत दर्ज की गई थी। 27 मई 2021 को कोरोना से 425 लोगों की मृत्यु हुई। वहीं 21 हजार 273 नए कोरोना मरीज मिले। इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पिछले साल सितंबर महीने में महाराष्ट्र में कोरोना की जो स्थिति थी, वो अब राज्य में दिखाई दे रही है।

पिछले साल सितम्बर महीने में मरीजों की ठीक होने की दर 78 प्रतिशत था, जो धीरे-धीरे बढ़ते गई। वहीं अब मई महीने में ठीक होने की दर 93.55 प्रतिशत है। जिसके बावजूद राज्य में लॉकडाउन लागू है।

वहीं 1 तारीख से महाराष्ट्र के 21 जिलों को लॉकडाउन से राहत दी गई है। पर पहले लहर के दौरान जिस तरह लॉकडाउन में छूट दी गई थी, वैसे छूट नहीं दी गई है। सितंबर में कोरोना मरीजों के ठीक होने का दर बढ़ने के बाद सबकुछ खुल दिया गया था। महज कुछ जगह और चीजों पर प्रतिबंध लागू थे।

अब आपको हम बताते है कि पहले लहर के दौरान सितंबर महीने में क्या शुरू और क्या बंद था?

-लोकल ट्रेन में सिर्फ अत्यावश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों को यात्रा करने की अनुमति थी।

-कृषि क्षेत्र से जुड़ी दुकानें शुरू थी।

-दूध, बेकरी औऱ किराने की दुकानें शुरू थी।

-भाजी-फल मार्केट खुले थे।

-इन सभी दुकानों को सुबह 7 से दोपहर 2 बजे तक खोलने की अनुमति थी।

-सभी अत्यावश्यक सेवा और स्वास्थ्य सेवा 24 घंटे तक शुरू थी।

-मेडिकल और मेडिकल उपकरण बेचने की दुकानों को पूरे दिन खोलने की अनुमति थी।

-सार्वजनिक जगह और कार्यालय कम उपस्थिति के साथ खुले थे।

-वर्क फ्रॉम होम पर जोर दिया गया।

-थिएटर, नाट्यगृह और मॉल्स बंद थे।

-होटल में बैठकर खाने की अनुमति नहीं थी।

-शराब की दुकानें शुरू थी, और उन्हें ऑनलाइन सप्लाई की भी अनुमति दी गई थी।

-स्कूल बंद थे और जिलाबन्दी लागू थी।

अब मई 2021 में क्या शुरू और क्या बंद है?

-मेडिकल, वैद्यकीय सेवा और अस्पताल शुरू है।

-वैक्सीनेशन सेंटर शुरू है।

-अत्यावश्यक सेवाएं की दुकानों को 7 से 11 तक खोलने की अनुमति है।

-भाजी और दूध की दुकानों के लिये भी समय निर्धारित किया गया है।

-लोकल ट्रेन में अत्यावश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों को यात्रा करने की अनुमति है।

-शादी समारोह को 25 लोगों की उपस्थिति में 2 घंटे में पूरा करना होगा।

-अंतिम संस्कार में सिर्फ 10 लोगों को इजाजत है।

-होटल और रेस्टोरेंट में सिर्फ पार्सल सेवाएं शुरू है।

पिछले वर्ष लॉकडाउन में राहत देने के बाद कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी। क्योंकि मंदिर, थिएटर, मॉल्स और जिम शुरू कर दिए गए। सितंबर महीने के बाद लॉकडाउन में बड़े पैमाने पर राहत दी जाने लगी। इसके लिए मिशन बिगेन अगेन नाम की मुहिम की शुरुआत की गई। अक्टूबर से जनवरी के बीच राज्य में लगभग सबकुछ खोल दिया गया था।

जिसके बाद इस वर्ष फरवरी और मार्च 2021 में कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी। जिसके कारण 14 अप्रैल को राज्य सरकार को फिर से लॉकडाउन लागू करना पड़ा। इस दौरान कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए राज्यभर में कड़क प्रतिबंध लागू कर दिए गए। इसीके साथ अर्थव्यवस्था को गिरने से बचाने के बारे में भी राज्य सरकार ने विचार-विमर्श किया।

पहले लहर के बाद दूसरी लहर में सरकार के सामने क्या चुनौती है? आइये इसके बारे में जानते है।

-पहले लहर में लोगों को कोरोना हो रहा था। लेकिन लोग जल्दी ठीक हो रहे थे। पर दूसरे लहर में कोरोना मरीजों को लांग कोविड का सामना करना पड़ रहा है।

-पहले लहर में वैक्सीन उपलब्ध नहीं थी। पर दूसरे लहर में वैक्सीन उपलब्ध है। लेकिन अब वैक्सीन की भारी कमी है। इस समय राज्य के 12 करोड़ जनता को टीका लगाना ही राज्य सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।

पहले वैक्सीन फ्रंट लाइन वर्कर्स, फिर वरिष्ठ नागरिक, इसके बाद 45 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों के लिए वैक्सीन लगाने का फैसला लिया गया। इसी बीच केंद्र सरकार ने 1 मई से 18 से ऊपर उम्र वाले लोगों के लिए वैक्सीन लगाने की घोषणा कर दी। जिसके कारण देश के कई राज्य समेत महाराष्ट्र में वैक्सीन की कमी हो गई।

वहीं कोरोना के साथ-साथ अब उद्धव सरकार के सामने ब्लैक फंगस को लेकर भी चुनौती है। अब महाराष्ट्र में कोरोना से ठीक हुए लोगों पर ब्लैक फंगस अटैक कर रहा है। पहली लहर के दौरान ब्लैक फंगस का इतना प्रभाव नहीं था। पर दूसरी लहर में मरीजों को ठीक होने के लिए बड़े पैमाने पर स्टेरिओड वाली दवाइयां दी गई। जिसके कारण बड़े पैमाने पर लोग ब्लैक फंगस से शिकार हुए। अब महाराष्ट्र समेत देश के कई राज्य ब्लैक फंगस से परेशान है।

इसके अलावा पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है। पहली लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी नहीं महसूस की गई थी। पर दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन को लेकर बहुत ज्यादा मारामारी देखी जा रही है। दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन के लिए दूसरे राज्यों से मांग की गई। वहीं दूसरी लहर में कोरोना के इलाज में उपयोगी रेमड़ेसिविर, बेड्स, ऑक्सीजन की कमी और बढ़ते मृत्यु दर परेशानी का सबब बनी हुई है। यह सब समस्या पहली लहर के दौरान नहीं थी।

अब परिस्थिति सुधरते हुए दिखाई भी दे रही है। लेकिन अब हम पिछले साल की पहले के उच्चतम स्तर पर आकर खड़े हैं। इन्हीं सभी परिस्थितियों को देखते हुए सीएम ठाकरे ने स्पष्ट कर दिया कि, ‘लॉकडाउन एक साथ नहीं हटाया जा सकता।

वहीं महाराष्ट्र समेत पूरे देश में कोरोना की तीसरी लहर आने की भी संभावना है। इसके अलावा महाराष्ट्र के शहरी हिस्सों में कोरोना नियंत्रण में आते दिखाई दे रहा है। लेकिन राज्य के ग्रामीण हिस्सों में कोरोना की स्थिति बिगड़ती जा रही है। अब गांवों को कोरोना मुक्त करने के लिए कोरोना मुक्त गांव की मुहिम राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई है।

वहीं सुभाष सालुंखे ने भी कहा कि, ‘महाराष्ट्र की स्वास्थ्य व्यवस्था को दिसम्बर तक ऐसे ही बनाये रखने की जरूरत है।जिसके बाद दिसम्बर तक लॉकडाउन की स्थिति ऐसी ही रहेगी, इसको लेकर चर्चा शुरू है। पहले लहर के दौरान सितंबर के बाद लॉकडाउन में बहुत ज्यादा राहत दे दी गई और जिसका बहुत बड़ा फ़टका लगा। जिसके कारण दूसरी लहर ने महाराष्ट्र में फरवरी से तांडव मचा दिया। अब एक बार फिर कोरोना के मामले कम होने लगे है।

अगर एक बार फिर लॉकडाउन में बड़े पैमाने पर राहत दे दी गई तो महाराष्ट्र में फिर से सारे त्योहार का मजा किरकिरा हो जाएगा। वहीं बरसात की भी शुरुआत हो चुकी है। इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए एक बार फिर दिसम्बर तक लॉकडाउन लगाने का साफ संकेत मिल रहे हैं। लॉकडाउन लागू करना का निर्णय जितना कठिन होता है, उतना ही लॉकडाउन हटाने का भी फैसला कठिन होता है। वहीं लॉकडाउन एक साथ हटाने से महाराष्ट्र में कोरोना की तीसरी लहर बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा सकती है। यह भी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट किया है। फिलहाल सरकार लॉकडाउन हटाने की मानसिकता में नहीं है, अभी की स्थिति से तो यही स्पष्ट संदेश मिल रहे हैं।

Report by : Rajesh Soni

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