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60 में से 10 फीसदी सीटें मुस्लिम समुदाय को दी गईं- अजित पवार

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Ajit Pawar : महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव और राजनीति के मुद्दे इन दिनों गरमाए हुए हैं। एनसीपी (NCP) नेता और राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने एक चुनावी सभा में अपनी पार्टी द्वारा की गई सोशल इंजीनियरिंग को लेकर बयान दिया। पवार ने कहा, “इस बार मैंने सोशल इंजीनियरिंग की और 60 सीटों में से 10 फीसदी सीटें मुस्लिम समुदाय को दीं।” उनका यह बयान राज्य की राजनीति में खासा चर्चा का विषय बन गया है। अजित पवार ने यह बयान विधान परिषद (Legislative Council) में अल्पसंख्यक समुदाय के कम प्रतिनिधित्व का हवाला देते हुए दिया।

उन्होंने कहा कि “विधान परिषद में अल्पसंख्यक समुदाय के पास एक भी सीट नहीं थी, इसलिए मैंने इंद्रीस नायकवाड़ी को तुरंत विधायक बना दिया।” पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि इस कदम के पीछे उनका उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों को न्याय देना था। उनका यह बयान खासतौर पर मुस्लिम समुदाय के लिए उनकी पार्टी द्वारा की गई विशेष पहल को उजागर करता है, जिसे वे चुनावी समीकरणों में सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानते हैं। अजित पवार ने अपनी “सोशल इंजीनियरिंग” का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने समाज के विभिन्न तबकों, जैसे कि महिलाओं, पिछड़े वर्ग और आदिवासी समुदाय के लिए 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित कीं। (Ajit Pawar )

उनका मानना था कि यह कदम इन समुदायों को सशक्त बनाने और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया था। पवार ने कहा, “मैंने महिलाओं, पिछड़े वर्ग, आदिवासी समुदाय को 10 प्रतिशत सीटें देकर न्याय किया।” इस बयान से यह साफ है कि पवार ने अपने चुनावी दृष्टिकोण में सामाजिक न्याय को प्राथमिकता दी है, और अपने गठबंधन की ताकत को विभिन्न समाजों के बीच समानता लाने के रूप में प्रस्तुत किया है। अजित पवार ने कांग्रेस पार्टी पर भी अप्रत्यक्ष रूप से हमला करते हुए कहा कि “कांग्रेस ने भी नहीं किया” यह बयान उनके द्वारा उठाए गए कदमों की तुलना में कांग्रेस पार्टी की तरफ से समान कदम न उठाए जाने की आलोचना कर रहा था।

उनका यह संदेश था कि एनसीपी ने अपनी नीतियों में सामाजिक न्याय और समान प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता दी, जबकि कांग्रेस ने इन मुद्दों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। अजित पवार के इस बयान पर राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ नेताओं ने उनकी पहल को सकारात्मक बताया और कहा कि सामाजिक न्याय के मुद्दे को उठाना सही कदम है, जबकि विपक्षी दलों ने इसे वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा करार दिया। भाजपा ने अजित पवार के बयान को आलोचना करते हुए इसे सिर्फ चुनावी रणनीति और सत्ता की राजनीति का हिस्सा बताया। (Ajit Pawar )

अजित पवार का यह बयान राज्य की राजनीति में एक नई दिशा को उजागर करता है, जिसमें उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों को अधिक प्रतिनिधित्व देने का दावा किया है। उनकी सोशल इंजीनियरिंग से यह स्पष्ट होता है कि वे चुनावी समीकरणों में बदलाव लाने और समाज के सभी वर्गों को समान अवसर देने के पक्षधर हैं। हालांकि, यह कदम विपक्षी दलों के लिए एक मुद्दा बन सकता है, लेकिन पवार का संदेश साफ है। सभी को एक ही चश्मे से नहीं देखना चाहिए”, यानी समाज के सभी वर्गों को समान अवसर मिलना चाहिए।

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