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ओबीसी वर्ग से सिर्फ तीन अधिकारी- राहुल गांधी

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Rahul Gandhi : महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक चुनावी सभा में राज्य की सामाजिक और राजनीतिक संरचना पर टिप्पणी की, खासकर ओबीसी वर्ग के प्रतिनिधित्व को लेकर। राहुल गांधी ने कहा कि राज्य में ओबीसी वर्ग के लोग सरकारी तंत्र में न्यूनतम प्रतिनिधित्व रखते हैं, जो उनकी राजनीतिक हिस्सेदारी और शक्ति को सीमित करता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ओबीसी वर्ग को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा है और उनके लिए अवसर सीमित कर दिए गए हैं।

राहुल गांधी ने अपने बयान में कहा, “राज्य में दलितों की संख्या लगभग 15 प्रतिशत है, लेकिन 90 अधिकारियों के बीच सिर्फ तीन अफसर ओबीसी वर्ग से हैं। उनका इशारा राज्य प्रशासन में ओबीसी वर्ग के लोगों की भागीदारी पर था। राहुल गांधी ने यह भी उदाहरण दिया कि “अगर 100 रुपये बांटे जा रहे हैं, तो यह सभी अधिकारी मिलकर फैसला करते हैं, लेकिन दलित सिर्फ एक रुपये पर, आदिवासी दस पैसे पर फैसला करते हैं, और इनमें से सिर्फ तीन अधिकारी ओबीसी वर्ग से हैं।” (Rahul Gandhi)

राहुल गांधी ने यह आरोप लगाया कि ओबीसी अधिकारियों को जानबूझकर छोटे-छोटे कार्यों में सीमित कर दिया गया है, ताकि उनकी शक्ति और निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो जाए। उन्होंने यह कहा कि अगर ओबीसी अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जाती तो वे सिर्फ पांच रुपये का फैसला करते, जबकि अन्य वर्गों के अधिकारियों के पास अधिक महत्वपूर्ण निर्णय लेने का अधिकार होता है। यह बयान ओबीसी वर्ग के लिए उनके संघर्ष को और स्पष्ट करने के लिए था, ताकि समाज के इस वर्ग की अधिक राजनीतिक और प्रशासनिक भागीदारी सुनिश्चित हो सके। राहुल गांधी का यह बयान ओबीसी वर्ग के लिए कम प्रतिनिधित्व की समस्या को उजागर करता है, जो भारतीय राजनीति और प्रशासन में एक लंबे समय से चली आ रही असमानता का संकेत है।

उन्होंने यह मुद्दा उठाया कि सरकारी तंत्र में ओबीसी वर्ग को उनकी हिस्सेदारी के अनुरूप मौके नहीं मिलते, जिससे यह वर्ग अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करता रहता है। राहुल गांधी के इस बयान पर विभिन्न राजनीतिक दलों और नेताओं की प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ नेताओं ने इसे ओबीसी वर्ग की समस्याओं को उजागर करने वाला एक महत्वपूर्ण बयान माना, जबकि बीजेपी और अन्य विपक्षी दलों ने इसे ओबीसी वर्ग के खिलाफ भड़काऊ बयान करार दिया। (Rahul Gandhi)

बीजेपी ने राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि वह अपने चुनावी अभियान में समाज के विभिन्न वर्गों को विभाजित करने का प्रयास कर रहे हैं। राहुल गांधी का बयान ओबीसी वर्ग की प्रशासनिक और राजनीतिक स्थिति पर सवाल उठाता है और यह चुनावी माहौल में सामाजिक न्याय के मुद्दे को फिर से उभारता है। उनकी टिप्पणी ने ओबीसी समुदाय की अनदेखी और उनके अधिकारों के हनन पर एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म दिया है, जिसे चुनावी संदर्भ में और भी जोर दिया गया है।

 

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