मुंबई; भारत मे रहने वाले (19)उनीसवीं सदी के बच्चे अच्छी तरह जानते हैं, कि उनका बचपना किस तरीके से बिता हैं, वो अपने पसंदीदा “कार्टून” (Cartoon) को दिल लगा के देखते थे। चाहे वो स्कूल से छूटने के वक्त या बाहर खेलेने के बाद जब TV चालू करते टैब उनका मन अपने पसन्दीदा कार्टून (Cartoon) देखने का मन करता।
मगर आज के बच्चों को जब हम अपने दिन के “कार्टून” (Cartoon) याद दिलाते हैं, तो वो ध्यान नही देते, आज का युग कहा जाए या आज का जवाना कहे तो “Online गेम” आ चुका हैं, जिससे कि आम लोग नही बल्कि (20)बीसवीं सदी के बच्चे भी बहुत प्रभावित होते जा रहे हैं। “Online Game” जिस तरीके से मोबाइल के प्लेस्टोर पे आसानी से उपलब्ध हो जा रही हैं, उससे उतना ही आसानी से डाउनलोड भी किया जाता हैं।
आज के बच्चे “ONLINE GAMING” की और जा रहे हैं, अपने पुराने शारारिक खेल जो हम आपस मे खेलते वो भी पीछे छूटते जा रहे हैं, ऐसे में हमे अपने बच्चों को अपने “पुराने खेल और दूरदर्शन पे कार्टून” दृस्य दिखाना चाहिए जिससे कि भारत को विदेशी “खेल और कार्टून” ना दिखाना पड़े, भारत अपने आप खुद पेर पर खड़ा हो सके। भारत में लोग अपने इलाको, राज्यों के तरह – तरह के खेल, दूरदर्शन हास्य, कार्टून देखने को मिलते हैं, भारत को इसका प्रचार करना चाहिए।
Report by : Karan Verma
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