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कोरोना की दहलाती भयावहता के चपेट में मुंबई

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Mumbai: मुंबई में फिर बड़ा कोरोना का कहर, बीते 24 घंटों में 721 नए मामले आए सामने

पूरा देश कोरोना (Corona) के दुसरे चरण की चपेट में है. लेकिन हम बात करें महाराष्ट्र और मुंबई (Mumbai) की तो यहाँ की स्थिति देश के किसी भी भाग से बदत्तर और डरावना है. खबरों पर गौर करें तो, लाखों की संख्यां में यहाँ नए मरीज रोज सामने आ रहे हैं. भारी संख्यां में लोगों की मौत भी हो रही है. इलाज के लिए अस्पताल , डॉक्टर्स और चिकित्सकीये संसाधन तो कम पड ही रहे हैं, अस्पताल से लेकर खुले बाज़ार तक में कोरोना के इलाज में प्रयुक्त होने वाले उपकरण और दवाइयां कम पड रही हैं. इतना तक भी गनीमत है. दरअसल हालात ऐसे हो गए हैं कि इलाज के लिए ये जरुरी चीजें मिल ही नहीं रही हैं और यदि ब्लैक में कहीं उपलब्ध भी है तो उसके मूल्य का वहन कोई धनाढ्य ही कर सकता है. धनाढ्यों में भी कई जगह होड़ है , क्योंकि मात्रा में उपलब्ध एक दवा या उपकरण पर खरीदार कई कई हैं. फिलहाल मुंबई (Mumbai) में ऐसी स्थिति की खबर तो नहीं है, लेकिन पुणे समेत महाराष्ट्र के अन्य शहरों से तो ऐसी ही खबर मिल रही है, जिसके अतिशीघ्र मुंबई (Mumbai) प्रवेश पर शक नहीं किया जा सकता है.

पहली बार जब कोरोना मुंबई में कहर बन कर फैलना शुरू किया था, तब यहाँ शंका जताई गई थी कि यहाँ धारावी और उस जैसी झोपद्पटीयाँ भारी मात्र में है, जहां की सकरी गलियाँ सामाजिक दूरी बनाने लायक ही नहीं है, अतः यदि यहाँ कोरोना फैला तो क्या होगा. तब शंकाएं सच में भी बदली थीं और तब किसी तरह उससे निजात भी प् लिया गया था, लेकिन इस बार हालात भिन्न हैं. इस बार झुगी – झोपड़ियों के अलावा कोरोना का हमला सुरक्षित समझे जानेवाले रहीश इलाकों में ज्यादा देखा जा रहा है. आखिर इसकी वजह क्या है, यह पड़ताल का विषय तो है ही, लेकिन  सवाल यह उठता है कि ऐसी स्थितियों से निपटना सरकार के लिए कितना संभव है ?

सरकार इसके लिए पूरी तरह मुस्तैद है. क्रमबार पाबंदियों के साथ नाईट कर्फ्यू और वीकेंड लॉकडाउन तो महाराष्ट्र सरकार लगा ही रखी है, बस आज कल कभी भी संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा सरकार की ओर से की जा सकती है. अगर कोरोना पर कंटोल के लिए लॉकडाउन जरुरी है या एकमात्र उपाय है, तो लॉकडाउन बहुत जरुरी है- इसे लगा ही दिया जाना चाहिए. लेकिन एक सवाल अब भी है. लगभग एक साल से लॉक डाउन का दंश झेल रहे मुंबईकर क्या फिर लॉकडाउन को झेल पायेंगे ? मुंबईकरों का स्वर तो न ही कह रहा है. अगर इस न को पहले ही सुन लिया गया होता तो शायद ऐसी नौबत ही नहीं आती. अर्थात, पूर्व के लॉकडाउन से उपजी असमंजसता के कारन ही लोग सामाजिक दूरी और कोरोना के रोक-थाम के लिए जारी अन्य दिश-निर्देशों का पालन नहीं कर पाए. रोजी-रोजगार के लिए लोग भारी हुजूम में बाहर निकले. इससे बस, ट्रेन, मार्किट, फैक्टरीज आदि में भीड़ बढ़ी और फिर जो होना था, सामने है. जो होना था, हो गया. एक बार कोरोना का फिर विष्फोट हो चूका है . सरकार के हाथ-पाँव फुल रहे हैं और जनता दर, भय और उहापोह की स्थिति में है की हालात जैसे बन गए हैं, उसमें उनकी रक्षा कौन करेगा और कैसे करेगा.

Report By : Lallan Kumar Kanj

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