मुंबई (Mumbai) में कोरोना मरीजों का वक्त पर इलाज हो सके, इसलिए बीएमसी ने बीते साल ही जंबो कोविड केयर सेंटर्स की श्रृंखला तैयार की। बीएमसी जंबो कोविड सेंटर्स पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। कोविड केयर सेंटर्स अगर बंद भी रहें तो बीएमसी भी का खर्च जारी रहता है। लेकिन बंद कोविड सेंटर्स का खर्च 60% कम जरूर हो जाता है। लेकिन खर्च रुकता नहीं।
बता दें कि इस दौर में बीएमसी के तीन जंबो कोविड केयर सेंटर्स कार्यान्वित हैं। तीन को मरम्मत कर बंद रखा गया है। बीएमसी के अनुसार वर्तमान में नेस्को, एनएससीआई एवं भायखला कोविड केयर सेंटर्स संचालित हैं। बांद्रा बीकेसी, दहिसर एवं मुलुंड जंबो कोविड सेंटर्स बंद रखे गए हैं। इन तीनों जंबो कोविड सेंटर्स को तौकते चक्रवात के वक्त से बंद रखा गया है। अस्थायी रूप से बने इन फील्ड अस्पतालों को एक साल पूरा हो चुका है। इसी कारण इनकी मरम्मत होना जरूरी है, इसलिए प्रशासन ने सेंटर्स बंद कर दिए।
इन 6 जंबो कोविड सेंटर्स में 8 हजार 9 सौ 15 बेड की क्षमता है। यहां 4 हजार 500 से ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें डॉक्टर्स से लेकर नर्सेस, वॉर्ड बॉय, सुरक्षा कर्मी, क्लीनिंग स्टाफ इत्यादि भी शामिल हैं।
वर्तमान में बीकेसी, मुलुंड एवं दहिसर जंबो कोविड सेंटर्स बंद पड़े हैं। इन्हें बंद हुए एक महीना होने को है। इसके बावजूद इनके करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं। काकानी ने बताया है कि, कोरोना केस में कमी हो रहे हैं। इसी करण इन कोविड सेंटर्स पर स्टाफ कम कर दिया। बंद कोविड सेंटर्स में दवाई से लेकर डॉक्टर, नर्सेस, वॉर्ड बॉय इत्यादि पर होनेवाले खर्च में 60% की कमी आ जाती है। प्रत्येक बंद सेंटर पर खर्च की कुल रकम 4 करोड़ रह जाती है।
Report by : Aarti Verma
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