कई बार ऐसा देखा गया है कि कभी असाधारण संकट के कारण तो कभी मानव निर्मित संकट के कारण फसलों और किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन फिर भी किसान कभी भी डगमगाते नहीं हैं। इस साल के दोहरे बुवाई संकट में किसान (Farmer) फिर से संकट से बाहर आ गए हैं। और उसी उत्साह के साथ खेती शुरू कर दी है।”
धुले तालुका के अधिकांश किसानों ने इस साल अच्छी बारिश की उम्मीद में जून के दूसरे सप्ताह में कपास की बुवाई की थी। परंतु ज्यादातर किसानों की पहली बार बुवाई की गई फसलें खराब हो गई और उनके सामने दूसरी बार बुवाई का संकट खड़ा हो गया। फिर भी किसान परेशान नहीं होता। बेमौसम बारिश के कारण हवा में रूई बह जाने से किसान बेहाल हो गए हैं।
सांगवी के एक युवा किसान सुनील पवारा ने 4 एकड़ क्षेत्र में कुल 19360 पेड़ों को तांबे से सींचना शुरू कर दिया है। उसने दोहरी बुवाई के खर्च को कम करने के लिए उसने अपनी बुजुर्ग मां और परिवार के सदस्यों से मजदूरी कार्रवाई क्योंकि उसके पास मजदूरों को देने के लिए पैसे नहीं थे।
वहीं फसल को बचाने के लिए संघर्ष करते हुए किसान बेसब्री से बरसात आने का इंतजार कर रहा है। अगर 8 से 10 दिन में बरसात ना होने पर किसानों के सामने फिर से बुवाई का संकट उत्पन्न हो जाएगा।
Report by : Rajesh Soni
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