कोरोना (Corona) वायरस (Virus) को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन (Lockdown) जैसा कर्फ्यू (Curfew) समाज के ना जाने कितने लोगों पर पहाड़ बनकर टूटा है। इस महामारी की मार खास और आम दोनों तरह के लोगों पर पड़ी है। सड़क पर धंधा कर अपने परिवार (Family) का पेट पालने वाले लॉकडाउन से बहुत ज्यादा प्रभावित हुए हैं। यह लोग अपनी पीड़ा किसी से नहीं बता पा रहे हैं। आज ऐसे ही मुम्बई से सटे भायंदर में सड़क पर चाय-नाश्ते का धंधा करने वाली महिला से मेट्रो मुम्बई ने उनका दर्द जाना।
हमारी रिपोर्टर स्वाति द्विवेदी और प्रीति विश्वकर्मा को भायंदर की सड़क पर धंधा करने वाली लॉकडाउन से पीड़ित महिला ने बताया कि, ‘मेरा नाम राइसा है और मेरे घर में 17 लोग हैं। लॉकडाउन से पहले हमारा रोजाना 1000 रुपये तक का धंधा हो जाता था। पर अब धंधा 400 रुपये का ही हो रहा है। लॉकडाउन के कारण 17 लोगों के पेट भरने की जिम्मेदारी राइसा के कंधों पर आ गई है। क्योंकि लॉकडाउन के कारण किसी के पास काम धंधा बचा नहीं है। मेरे पति खाड़ी देश में काम किया करता था। पर लॉकडाउन के कारण वे भी घर पर बैठे हैं।
अब महाराष्ट्र में कोरोना तेजी से नियंत्रण में आ रहा है। यहां अब मरीजों की संख्या 65 से घटकर 15 हजार तक पहुंच चुकी है। वहीं पॉसिटिवटी रेट लगातार घट रही है। इसके साथ-साथ मृत्यु दर भी लगातार घट रहे हैं। अब सबको यही उम्मीद है कि राज्य सरकार जल्द से जल्द अनलॉक की प्रक्रिया को शुरू करें। ताकि भूखमरी की समस्या से जूझ रहे ऐसे गरीब लोगों को जल्द से जल्द राहत मिल सकें।
Report by : Rajesh Soni
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