कोरोना की पहली और दूसरी लहर पर नियंत्रण पाने के लिए भले ही मुम्बई शहर की तारीफ पूरी दुनिया ने की हो। लेकिन मेडिकल फैसिलिटीज के मामले में मुम्बई अभी भी पिछड़ा हुआ शहर है। नेशनल बिल्डिंग कोड के पैरामीटर के मुताबिक, 15 हजार की आबादी पर एक दवाखाना होना चाहिए। लेकिन मुम्बई में इसके विपरीत स्थिति है।
मुम्बई की लगभग 2 करोड़ की जनसंख्या के हिसाब से शहर में 858 दवाखाने होने चाहिए। लेकिन वर्तमान मुम्बई में 198 दवाखाने हैं। जो आबादी के हिसाब से 77 प्रतिशत कम है। इनमें से सिर्फ 15 दवाखाना 12 घंटे काम करते हैं। वहीं बचे हुए दवाखानों में महज 5 से 6 घंटे काम होता है। मुम्बई की एनजीओ प्रजा फाउंडेशन द्वारा मंगलवार को राज्य के हेल्थ पर जारी श्वेत पत्र में यह जानकारी दी गई है।
Reported by – Rajesh Soni
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