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गरीबों की कोई नहीं सुनता, दर्द को नहीं समझता

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भारत को आजाद हो गए 75 वर्ष हो गए हैं। लेकिन आज भी लोग मूलभूत (Basic)सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। आए दिन हम पिछड़े इलाकों में तो लोगों को सुविधाओं के लिए संघर्ष करते हुए देखते और सुनते है। लेकिन आपको यकीन नहीं होगा कि मुम्बई में भी लोग आज भी टॉयलेट जैसे मूलभूत सुविधा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना।

दरअसल, चेम्बूर स्थित सिद्धार्थ नगर के लोग गंदगी में जीने के लिए मजबूर है। यहां टॉयलेट सफा नहीं है। नालों की ठीक से सफाई नहीं हो रही है। जिसके कारण यहां चूहों का अंबार लगा हुआ है। वहीं यह झोपड़पट्टी पहाड़ी इलाके में बसी हुई है। चूहे लगातार मिट्टी को खा रहे हैं। जिसके कारण घर खिसकने का डर बना हुआ है। इससे पहले भी यहां भूस्खलन की घटनाएं हो चुकी है। इस भयावह स्थिति का जायजा मेट्रो मुम्बई के रिपोर्टर विनोद काम्बले लेने पहुंचे। वहीं विनोद काम्बले ने यहां स्थानीय लोगों से बातचीत कर उनका दर्द भी जाना।

वहीं इन लोगों की राजनेताओं के प्रति काफी नाराजगी है। क्योंकि चुनाव के बाद लोगों की समस्या को दरकिनार कर देते हैं।

Reported By :- Rajesh Soni

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