देश में जानलेवा कोरोना (Corona) वायरस की दूसरी लहर ने हाहाकार मचा रखा है। इससे सबसे ज्यादा हालात महाराष्ट्र (Maharashtra) की खराब है। जिसके कारण यहां लॉकडाउन (Lockdown) 15 जून तक बढ़ा दिया गया है। लॉकडाउन की वजह से गरीब लोग बहुत ज्यादा परेशान हैं। काम-धंधा ठप पड़ जाने की वजह से अब इन लोगों के सामने घर चलाने की समस्या खड़ी हो गई है। आज ऐसे ही लॉकडाउन से पीड़ित एक परिवार से मेट्रो मुम्बई की टीम ने उनकी परेशानियों के बारे में जाना है।
यह परिवार मुम्बई से सटे नालासोपारा में रहता है। लॉकडाउन के कारण बंद हुई लोकल ट्रेनों के चलते इस परिवार के एक मात्र कमाने वाले पुरूष के पास कमाने का अब कोई जरिया नहीं बचा है। हम बात कर रहे हैं नालासोपारा पूर्व में रहनेवाली सीमा शेख की। सीमा शेख मेट्रो मुम्बई की दर्शक हैं। जिन्होंने अपने पति के ठप पड़े काम को फिर से शुरू कराने के लिए मेट्रो मुम्बई से मदद मांगी थी। जिसके बाद मेट्रो मुम्बई की रिपोर्टर गीता यादव ने सीमा के घर जाकर उनका दर्द जाना है।
सीमा ने हमारी रिपोर्टर गीता यादव को बताया कि, ‘हमें मुफ्त का अनाज-राशन नहीं चाहिए। बस राज्य सरकार हमारा काम धंधा चालू कर दें। हम किराए के घर में रहते हैं। मेरे चार बच्चें है और फीस ना चुकाने के कारण उन्हें स्कूल द्वारा ऑनलाइन क्लास में भी हिस्सा नहीं लेने दिया जा रहा है। ऊपर से हमें घर के लाइट बिल और किराए भी चुकाना पड़ता है।
आपको मालूम हो कि, सीमा के पति अशरफ अली शेख जोगेश्वरी की एक कंपनी में टेलरिंग मास्टर का काम करते थे। पर कोरोना के कारण पिछले साल से लगे लॉकडाउन के चलते अशरफ शेख ढेड़ साल में महज 44 दिन ही नौकरी पर गए हैं। ऐसे ही हालात लगभग मुम्बई और पालघर में रहने वाले ज्यादातर गरीब परिवारों की है।
जिनका काम धंधा -ठप पड़ जाने की वजह से हालात दिन ब दिन दयनीय होती जा रही है। ऐसे लोगों के प्रति राज्य सरकार को जरूर विचार करना चाहिए। क्योंकि लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित मध्यम वर्ग के लोग हुए हैं। क्योंकि मध्यम वर्ग के लोग ना तो सड़क पर भीख मांग सकते हैं और ना ही इन्हें सरकारों के तरफ से किसी भी प्रकार मदद मिलती है।
Report by : Rajesh Soni
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