इन दिनों सौर्य-मंडल (Social) में एक धूमकेतुनुमा पत्थर घूम रहा है, जो पृथ्वी के करीब
आकर गुजरा और वैज्ञानिकों की माने तो वह फिर से धरती के करीब आ सकता है .
डर है कि कहीं वोह अंतरक्षिये पथरनुमा चीज कहीं धरती से न टकरा जाये ? यदि
ऐसा होता है तो निश्चित ही धरती से जीवन का वजूद ख़त्म हो जायेगा , जैसे
भविष्य में धरती से डायनासोर का हुआ था . कहा जाता है कि धरती से हजारों साल
पहले कोई उल्कापिंड टकराया था और उससे धरती पर इतनी तबाही हुई थी कि
धरती का सबसे भारीभरकम जीव डायनासोर का पूर्णतः (Social) सफाया हो गया . आज हम
जिस डायनासोर को या तो जीवाश्मों के रूप में देख पा रहे हैं, उनकी कथाये सुन पा
रहे हैं या फिर जुरासिक पार्क जैसी फिल्मों के माध्यम से देख-सुन कर समझ रहे
हैं, वह कभी इस धरती की शोभा हुआ करता था, पर आज इतिहास है- धरती से
बस किसी उल्कापिंड के टकराने के कारण. कल्पना करें अंतरिक्ष में दृष्टिगत हो रहे
पिंड यदि धरती पर आ गिरा या टकरा गया तो क्या होगा (Social) ? …तब तबाही, सिर्फ
तबाही होगी धरती पर और तबाहियों के बीच जीवन का सफाया निश्चित है.
अब सवाल उठता है , आखिर यह है क्या ?
क्या यह कोई पुच्चल तारा है ?
क्या यह कोई उल्कापिंड है ? या फिर यह यह कोई और आकाशिए पत्थर या पिंड
है?
इन सवालों का जवाब फिलहाल न हमारे पास है और न ही वैज्ञानिकों के पास ,
क्यों? इस क्यों का जवाब तो वैज्ञानिक ही दे सकते हैं, जो इस मामले में बस
अपने- अपने अनुमानों में ही उलझे हैं अब तक .
हम आपको इस उल्कापिंडनुमा चीज के बारे बताने से पहले बता दें कि यह करीब
तीन साल पहले ही हमारे सौर्य-मंडल में वजूद में आया है . कहाँ से आया है , कोई
नहीं जनता है अभी . पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर एवी लोयेब का मानना है की
यह कोई धूमकेतु नहीं , न ही कोई उल्का पिंड है. दरअसल यह एलियन टेक्नोलाजी
है, जो हमारे अंतरिक्ष में भ्रमण कर रहा है. जबकि कुछ वैज्ञानिकों की नयी थ्योरी
इस बारे में थोडा अलग है. नयी थ्योरी के अनुसार यह पिंड प्लूटो से आया लगता
है. सब के अपने अपने तर्क हैं . लेकिन चमत्कारिक तौर पर सौर्य-मंडल में आये
इस पिंड की जो कुछ चमत्कारिक गतिविधियाँ हैं, वे हैरान कर देने वाले हैं. यह पिंड
धीरे-धीरे गतिमान है, जबकि शुरूआती दौर में यह स्थिर था . उसका यही चरित्र
वैज्ञानिकों को कल्पना का पंख देता है की आखिर यह वहाँ टिका कैसे है ? स्थिर
था, पर अब गतिमान कैसे हो गया ?
इसकी गति पर जहां हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर एवी लोयेब का कहाँ है की एलियन
टेक्नोलाजी है . इसमें एक मशीन लगी है, जो बहुत छोटी है और वही इसे खिंच रही
है., जबकि दुसरे वैज्ञानिकों का अनुमान है की इसके आस-पास सॉलिड हैड्रोजन का
भारी विष्फोट हो रहा है, जिसके कारन यह गतिशील है. वैज्ञानिकों ने इसे नाम दिया
है- ओउमुआमुआ . नाम जो भी हो, नाम में क्या रखा है …हमारी परेशानी तो इसके
खतरों की आशंका है , कि कहीं यह पृथ्वी से टकरा कर हमारी ज़िन्दगी को न
निगल ले आनेवाले सालों में ?
Report by: Lallan Kumar Kanj
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